Jharkhand Election: नीरू शांति Vs अनिल टाना... देवर-भाभी होंगे आमने-सामने, लोहरदगा सीट पर रोचक हुआ मुकाबला
झारखंड चुनाव में इस बार लोहरदगा विधानसभा सीट (Lohardaga Seat Election 2024) पर देवर-भाभी आमने-सामने हैं। एनडीए गठबंधन (NDA Alliance) से नीरू शांति भगत और उनके देवर अनिल टाना भगत ने नामांकन दाखिल किया है। दोनों ही पूर्व विधायक स्वर्गीय कमल किशोर भगत के परिवार से हैं। इस चुनावी जंग ने पूरे क्षेत्र में सियासी माहौल को गरमा दिया है।
राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा। Lohargada Assembly Election 2024 लोहरदगा विधानसभा चुनाव का मैदान इस बार बेहद रोमांचक हो गया है। इस बार के चुनाव में देवर-भाभी अपनी किस्मत को आजमाएंगे। विधानसभा चुनाव में देवर-भाभी की एंट्री से चुनावी मुकाबला रोचक होने के आसार बढ़ गए हैं। एनडीए गठबंधन से आजसू पार्टी ने पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं, कमल किशोर भगत के छोटे भाई अनिल टाना भगत ने विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रपत्र लेकर सबको चौंका दिया है।
राजनीति चाहे जो न करा दे, यहां के नेता निजी स्वार्थ और महत्वकांक्षाओं के भंवर जाल में इस कदर से खुद को उलझा लेते हैं कि कभी-कभी उसे अच्छे बुरे की समझ भी नहीं होती है। इस बार के विधानसभा चुनाव में लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए नीरू शांति भगत जो पूर्व विधायक स्वर्गीय कमल किशोर भगत की धर्मपत्नी हैं और अनिल टाना भगत जो स्वर्गीय कमल किशोर भगत के भाई हैं, दोनों ने पर्चा खरीदा है। जिससे विधानसभा चुनाव मैदान में दोनों आमने-सामने होंगे।
क्या देवर-भाभी में होगा समझौता?
हालांकि, यह घर की बात है और अंतिम समय में आपसी समझौता भी हो सकता है, लेकिन इसके आसार काफी कम नजर आते हैं। वैसी स्थिति में देवर-भाभी चुनाव में आमने-सामने होंगे। लोहरदगा विधानसभा से दो-दो बार प्रतिनिधित्व करने वाले कमल किशोर भगत की क्षेत्र में एक अलग पहचान और पकड़ थी। पूर्व विधायक के परिवार से ही चुनाव मैदान में दो लोगों के ताल ठोकने के बाद से उनके समर्थक और कार्यकर्ता असमंजस में पड़ गए हैं।कोई गलती नहीं करना चाहती भाजपा
हालांकि, एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा और आजसू पार्टी कार्यकर्ता नीरू शांति भगत के साथ पूरी तरह से खड़े हैं, लेकिन आजसू पार्टी के कई कार्यकर्ता अनिल टाना भगत के साथ दिखाई देते हैं। ऐसे में सहानुभूति की लहर किसी ओर जाएगी कहना कठिन है। दूसरी ओर लोकसभा चुनाव में बड़े अंतराल से हार के बाद भाजपा इस बार कोई भी गलती करने के मूड में नहीं है और चुनाव जीतने के लिए कोई कसर बाकी रहने नहीं देना चाहती है। ऐसे में एनडीए गठबंधन के आजसू उम्मीदवार नीरू शांति भगत के साथ भाजपा संगठन मजबूती से खड़ा दिखाई पड़ती है।
चुनावी माहौल में हर कोई बिसात बिछा रहा है। सभी की अपनी रणनीति है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा पिक्चर भी धीरे-धीरे साफ होगी, लेकिन फिलहाल देवर-भाभी के चुनावी मैदान में ताल ठोकने से सियासी माहौल गर्म हो गया है और क्षेत्र में इसी बात की चर्चा सबसे ज्यादा है। क्या देवर-भाभी के बीच की यह चुनावी जंग लोहरदगा की राजनीति को नया मोड़ देगी या फिर कोई तीसरा उम्मीदवार बाजी मार ले जाएगा।
असमंजन में कार्यकर्ता और मतदाता
बता दें कि नीरू शांति भगत और अनिल टाना भगत दोनों ने अपनी-अपनी उम्मीदवारी के लिए नामांकन प्रपत्र खरीद लिया है। जिससे आजसू पार्टी के समर्थकों और मतदाताओं के बीच असमंजस फैल गया है। एक तरफ जहां नीरू शांति भगत की उम्मीदवारी को उनके पति और पूर्व विधायक के राजनीतिक कद का समर्थन प्राप्त है। वहीं, दूसरी ओर उनके देवर अनिल टाना भगत का राजनीति में सक्रिय भागीदारी लेना कुछ नई संभावनाओं को जन्म दे रहा है।
नीरू शांति भगत को टिकट मिलने के साथ ही उनकी चुनावी रणनीतियों की चर्चा जोरों पर है। वहीं, अनिल टाना भगत भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं और अपने समर्थकों को एकजुट करने की कोशिशों में लगे हैं। देवर-भाभी की इस दिलचस्प चुनावी जंग ने पूरे विधानसभा क्षेत्र में राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है और चुनावी उत्साह को नई ऊंचाईयां प्रदान की हैं।
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