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    Jharkhand News: मोटे अनाज और दलहन-तेलहन की टूट रही उम्मीद, सिर्फ धान खेतों में हरियाली

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 01:50 PM (IST)

    लोहरदगा जिला में लगातार हो रही वर्षा की वजह से खेती पर असर दिखाई दे रहा है। धान की खेती तो अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रही है परंतु खरीफ की दूसरी फसलों के आच्छादन का हाल काफी बुरा है। विशेष तौर पर मोटे अनाज मक्का दलहन तिलहन आदि फसलों की हालत खराब नजर आ रही है। इन फसलों का लक्ष्य अभी काफी दूर दिखाई दे रहा है।

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    धान के खेतों में दिख रही हरियाली।

    विक्रम चौहान, लोहरदगा। लोहरदगा जिला में लगातार हो रही वर्षा की वजह से खेती पर असर दिखाई दे रहा है। धान की खेती तो अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रही है, परंतु खरीफ की दूसरी फसलों के आच्छादन का हाल काफी बुरा है।

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    विशेष तौर पर मोटे अनाज, मक्का, दलहन, तिलहन आदि फसलों की हालत खराब नजर आ रही है। इन फसलों का लक्ष्य अभी काफी दूर दिखाई दे रहा है। इसके पीछे की वजह यह है कि जिले में जून और जुलाई के महीने में जमकर वर्षा हुई है। जिसकी वजह से खेतों में पानी जमा है।

    ऐसे में टांड जमीन पर खेती प्रभावित हो रही है। मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती ऊपरी जमीन में ही होती है। इस प्रकार के जमीन में भी अभी पानी भरा हुआ है। जून के महीने में तो सामान्य से कहीं अधिक वर्षा हुई ही, जुलाई के महीने में भी वर्षा ने रिकार्ड तोड़ दिया।

    जुलाई के महीने में सामान्य वर्षापात 305 मिमी के विपरीत वास्तविक वर्षापात 353.2 मिमी दर्ज की गई। यह सामान्य से काफी अधिक थी। जिसकी वजह से खेतों में पानी भरा हुआ है।

    लक्ष्य से दूर है अन्य खरीफ का आच्छादन

    किसान दूसरी फसलों  को नहीं लगा पा रहे हैं। वर्तमान समय में जिले में खरीफ का आच्छादन अपने लक्ष्य से काफी दूर है। जिले में खरीफ के आच्छादन का लक्ष्य 81675 हेक्टेयर में रखा गया था।

    इसमें से विगत 28 जुलाई की विभागीय रिपोर्ट के अनुसार महज 37.11 प्रतिशत ही आच्छादन हो पाया है। जिले में धान की खेती का लक्ष्य 47 हजार हेक्टेयर में था।

    यह लक्ष्य अब 75 प्रतिशत से ऊपर जा चुका है। जबकि दूसरी फसलों का हाल काफी बुरा है। लोहरदगा जिला में पारंपरिक रूप से मड़ुआ, उड़द और मक्का की खेती वर्षा के मौसम में होती है।

    परंतु इस बार इन तीनों फसलों की खेती काफी कम हो पाई है। हालांकि अरहर की खेती को लेकर भी किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को अरहर की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। जिले में खरीफ की खेती पर ही किसानों के सपने निर्भर करते हैं।

    इस बार धान की बेहतर पैदावार की उम्मीद नजर आ रही है, परंतु दलहन, तिलहन, मक्का और मोटे अनाज की खेती नहीं होने का असर भी आने वाले समय में देखने को मिल सकता है।

    लोहरदगा में 9500 हेक्टेयर में अरहर खेती का लक्ष्य

    किसानों के समक्ष धान के बाद सिर्फ अरहर की खेती का विकल्प शेष है। लोहरदगा में 9500 हेक्टेयर में अरहर की खेती के आच्छादन का लक्ष्य है। हालांकि अब तक मात्र 1.83 प्रतिशत ही अरहर की खेती का आच्छादन हो पाया है।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि जिले में मक्का का 12.29, मोटे अनाज का 2.79, तेलहन का 7.77 और दलहन का 1.98 प्रतिशत ही आच्छादन हुआ है। वहीं धान का आच्छादन 75 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। केवीके किसानों को खरीफ को लेकर अरहर की खेती का सुझाव दे रहा है।

    किसान अरहर की खेती पर ध्यान दें। वर्तमान में जो स्थिति है, उसमें मड़ुआ, मक्का, दलहन और अन्य फसलों की खेती संभव प्रतीत नहीं हो रही। ऐसे में अरहर की खेती फायदेमंद है। किसानों को इसे जरूर अपनाना चाहिए।

    हेमंत पांडे, कृषि वैज्ञानिक, लोहरदगा।