पाकुड़ के इस पंडाल पर अंग्रेजों के जमाने से हो रही पूजा, अबकी बार मयूर महल की तर्ज पर होगी सजावट
पाकुड़ में सरस्वती पुस्तकालय दुर्गा पूजा समिति 135 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही है। इस वर्ष मयूर महल की तर्ज पर पंडाल बनाया जा रहा है जिसमें बंगाल की शिल्पकला दिखेगी। मूर्तिकार नोनी पाल माँ दुर्गा की मूर्ति को आकार दे रहे हैं। बंगाली पद्धति से पूजा होगी जिसमें सफेद भतुआ का बलिदान और महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रों का पाठ किया जाएगा।

संवाद सहयोगी, पाकुड़। पाकुड़ की धरती एक बार फिर भक्ति, परंपरा और सांस्कृतिक वैभव से गुलजार होने वाली है। लगभग 135 वर्षों की ऐतिहासिक परंपरा को संजोए हुए सरस्वती पुस्तकालय दुर्गा पूजा समिति की ओर से इस वर्ष भी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना भव्य स्वरूप में आयोजित की जा रही है।
इस बार पूजा पंडाल को "मयूर महल" की तर्ज पर सजाया जा रहा है, जो पूरे शहर के आकर्षण का केंद्र बनेगा। करीब तीन-चार लाख रुपये की लागत से बनने वाले इस पंडाल में बंगाल की शिल्पकला की अद्भुत छाप देखने को मिलेगी। वहीं, लाइटिंग और अन्य सजावट कार्यों पर 10 से 12 लाख रुपये तक का खर्च प्रस्तावित है।
कला, आस्था और इतिहास का मिलन
पाकुड़ के तलवाडांगा के प्रसिद्ध मूर्तिकार नोनी पाल इस बार भी मां की प्रतिमा को आकार देने में जुटे हैं। प्रतिमा की ऊंचाई सात से आठ फीट (7-8) के बीच होगी। इस बार का पूजा आयोजन न सिर्फ भव्य होगा, बल्कि इसमें परंपरा की आत्मा और आधुनिकता का संगम भी दिखेगा।
यहां मां दुर्गा की पूजा बंगाली पद्धति से की जाती है। सफेद भतुआ का बलिदान, संधि पूजा और महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रों की गूंज पूरे माहौल को आध्यात्मिक रंगों से भर देती है। समिति के अध्यक्ष अम्लान कुसुम सिन्हा बताते हैं कि इस बार पूजा आयोजन के लिए कुल 10-12 लाख रुपये का बजट तय किया गया है।
आर्ट बोर्ड पर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर हुई थी शुरुआत
पाकुड़ शहर के हृदयस्थल सरस्वती पुस्तकालय परिसर में ब्रिटिश काल से दुर्गा पूजा आयोजित की जा रही है। यह परंपरा लगभग 135 साल पहले शुरू हुई थी, जब रानी ज्योतिर्मयी स्टेडियम में बने एक चबूतरे पर आर्ट बोर्ड में मां दुर्गा की तस्वीर बनाकर पूजा की जाती थी। लगभग 50 वर्षों तक यही परंपरा चलती रही। बाद में शहर के राजपाड़ा स्थित सिंहवाहिनी मंदिर में एक तांत्रिक महात्मा के मार्गदर्शन में मिट्टी की प्रतिमा से पूजा शुरू की गई।
महात्मा ने बताया कि यहां की भूमि अनुकूल है और मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा की जा सकती है। तब से लेकर अब तक हर वर्ष सरस्वती पुस्तकालय दुर्गा पूजा समिति की ओर से नगर थाना और रानी ज्योतिर्मयी स्टेडियम के समीप भव्य पूजा पंडाल बनाया जाता है। इस वर्ष भी परंपरा, भव्यता और श्रद्धा के संगम के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाएगी।
सुरक्षा का रहेगा पुख्ता इंतजाम
भीड़ नियंत्रण के लिए समिति के वालंटियर्स के साथ-साथ पुलिस बल भी तैनात रहेगा। सुरक्षा के लिहाज से पूरे पंडाल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, ताकि कोई भी अप्रिय घटना रोकी जा सके। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग अलग आने जाने का इंतजाम किया जा रहा है।
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