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    Jharkhand News: विधवा पेंशन की राशि से चल रहा था गुजारा, रातों-रात खाते में आ गए 62 लाख रुपये, तब से शुरू हो गई बदहाली

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 05:15 PM (IST)

    हैदरनगर प्रखंड के बुद्धू बिगहा गांव की गरीब विधवा महिला माया कुंवर आज प्रशासनिक लापरवाही और साइबर फ्राड जांच में उलझकर परेशान हैं। वह दाने दाने को मोहताज है। उनके एसबीआइ खाते में अचानक ₹62 लाख 6100 जमा हो गए। लेकिन वह अपनी विधवा पेंशन की राशि 1000 निकालने के लिए भी तरस रही हैं। भर पेट भोजन पर भी आफत आ गई है।

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    बैंक एवं अधिकारियों का चक्कर लगा रही विधवा माया ।

    संवाद सूत्र, जागरण, जपला (पलामू) । हैदरनगर प्रखंड के बुद्धू बिगहा गांव की गरीब विधवा महिला माया कुंवर आज प्रशासनिक लापरवाही और साइबर फ्राड जांच में उलझकर परेशान हैं। वह दाने दाने को मोहताज है। 

    उनके एसबीआइ खाते में अचानक ₹62 लाख 6100 जमा हो गए। लेकिन वह अपनी विधवा पेंशन की राशि 1000 निकालने के लिए भी तरस रही हैं। भर पेट भोजन पर भी आफत आ गई है। 

    बैंक खाते पर लगा रोक

     माया पेंशन की राशि जुलाई माह में निकालने बैंक पहुंचीं । वहां उन्हें बताया गया कि उनके खाते में लेन देन पर तमिलनाडु साइबर पुलिस के निर्देश पर रोक लगा दी गई है।

    दरअसल, यह खाता एक बड़े एनसीआरपी यूपीआइ फ्राड से जुड़ गया। शाखा प्रबंधक ओमप्रकाश ने साफ कहा कि मामला उनके हाथ में नहीं है।

    माया की व्यथा- मुझे तो बस अपनी पेंशन चाहिए

    माया ने कहा कि मैं अनपढ़ और गरीब हूं। मेरे खाते में इतना पैसा कहां से आया, मुझे कुछ नहीं पता। मुझे बस अपना 1000 रुपये चाहिए, जो सरकार से वृद्धा पेंशन के रूप में मिलती है।

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    उसी से मेरा गुजारा चलता है। उनका कहना है कि बैंक उन्हें बार-बार साइबर थाना भेज रहा है। उन्होंने मेदिनीनगर साइबर थाना में शिकायत की, लेकिन वहां से भी जवाब मिला कि मामला तमिलनाडु साइबर क्राइम थाना से जुड़ा है। मजबूर होकर अब माया ने पलामू उपायुक्त से गुहार लगाई है।

    जानें कैसे पहुंचा पैसा खाते में

    पूरी घटना तमिलनाडु के पेरंबूर शहर से जुड़ी है। वहां के संतोष कुमार नामक शख्स ने 28 अक्टूबर 2024 को साइबर थाने में 62.61 लाख रुपये के ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराई थी।

    जांच में पता चला कि यह राशि 5 नवंबर 2024 को किसी माया कुंवर नामक ग्राहक के खाते में पहुंच गई। इसके बाद 24 मई 2025 को तमिलनाडु पुलिस के निर्देश पर उनका खाता फ्रीज कर दिया गया।

    सुप्रीम कोर्ट का निर्देश भी ताक पर

    यहां सबसे बड़ा सवाल है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी बैंक खाते को पूरी तरह फ्रीज नहीं किया जा सकता, सिर्फ विवादित राशि रोकी जा सकती है, तो फिर माया का खाता क्यों पूरी तरह ब्लॉक कर दिया गया?

    इस लापरवाही का सीधा खामियाजा एक गरीब विधवा महिला को भुगतना पड़ रहा है। जिस महिला के पास जीवन यापन का एकमात्र सहारा सरकारी पेंशन है, वह भी उसे नहीं मिल पा रही।