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    Jharkhand News: इन नौ जिलों में 1.27 करोड़ लोगों को निशुल्क खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 07:13 PM (IST)

    झारखंड के नौ जिलों में 10 अगस्त से फाइलेरिया रोधी दवा अभियान चलेगा जिससे 1.27 करोड़ लोगों को लाभ होगा। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने दवा वितरण ...और पढ़ें

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    राज्य के नौ जिलों में 1.27 करोड़ लोगों को निशुल्क खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य के फाइलेरिया प्रभावित नौ जिलों में 10 अगस्त से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत इन जिलों के 80 प्रखंडों में 1.27 करोड़ लोगों को निशुल्क फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाएगी।

    जिन नौ जिलों में यह अभियान चलेगा उनमें चतरा, गोड्डा, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला खरसावां, हजारीबाग, जामताड़ा, पलामू, लातेहार तथा दुमका सम्मिलित हैं। अभियान के तहत लोगों को तीन दवाइयां डीईसी, एल्बेंडाज़ोल एवं आइवरमेक्टिन खिलाई जाएगी।

    बुधवार को इस एमडीए अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में नेपाल हाउस सचिवालय में स्टेट टास्क फ़ोर्स की बैठक हुई, जिसमें इसे सफल बनाने की रणनीतियों पर चर्चा हुई।

    अपर मुख्य सचिव ने बैठक में स्पष्ट कहा कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाओं का वितरण बिल्कुल नहीं होना चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी लाभार्थी फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही करें।

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    इसके साथ ही फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए एमडीए कार्यक्रम के दौरान दवाएं खाना कितना महत्वपूर्ण है, इसका प्रचार-प्रसार व्यापक रूप से होना चाहिए ताकि समुदाय में इसके प्रति जागरूकता बढ़े।

    उन्होंने शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, नगर विकास विभाग, पेयजल और स्वच्छता विभाग के प्रतिनिधियों से इस अभियान में सहयोग करने की अपील की।

    बैठक में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. बिरेंद्र कुमार सिंह ने एमडीए अभियान की रणनीति पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एमडीए के जरिए ही फाइलेरिया की रोकथाम एवं उन्मूलन संभव है।

    उन्होंने यह भी बताया कि यदि समुदाय के सभी लोग पांच वर्ष तक लगातार वर्ष में केवल एक बार फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करें तो राज्य से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है।

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