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    बीडीओ ने सेवा के दौरान की थी गड़बड़ी, आरोप गठन के 11 वर्ष बाद हुई कार्रवाई, अब पेंशन में कटौती कर की जाएगी भरपाई

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 12:12 PM (IST)

    चतरा में मनरेगा दीनदयाल आवास योजना विद्यालय कोष आदि योजनाओं में गड़बड़ी के जिस मामले पर आरोप गठित किया गया था उसकी जांच और दोषी तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी के विरुद्ध अब कार्रवाई हुई है। इस मामले में तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी की पेंशन से आजीवन 20 प्रतिशत की कटौती तथा मामले का विशेष अंकेक्षण कराने का निर्णय लिया गया है।

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    11 वर्ष बाद हुई चतरा में मनरेगा, दीनदयाल आवास योजना व विद्यालय कोष में गड़बड़ी पर कार्रवाई।

    राज्य ब्यूरो, रांची ।  चतरा में मनरेगा, दीनदयाल आवास योजना, विद्यालय कोष आदि योजनाओं में गड़बड़ी के जिस मामले पर आरोप गठित किया गया था, उसकी जांच और दोषी तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी के विरुद्ध अब कार्रवाई हुई है।

    इस मामले में तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी की पेंशन से आजीवन 20 प्रतिशत की कटौती तथा मामले का विशेष अंकेक्षण कराने का निर्णय लिया गया है।

    चतरा के तत्कालीन उपायुक्त ने वर्ष 2014 में ही इस मामले में आरोप गठित किया था। आरोप था कि चेक निर्गत करने के बाद संबंधित रोकड़ पंजी में दर्ज कर लेखा अद्यतन नहीं किया गया।

    लेखा परीक्षण के दौरान पाया गया कि दीनदयाल आवास योजना, मनरेगा योजना, विद्यालय कोष आदि योजनाओं के लिए बड़ी राशि कुल 1.30 करोड़ के चेक निर्गत किए गए, लेकिन उन चेक के आधार पर खर्च हुई राशि को संबंधित रोकड़ पंजी में दर्ज नहीं कर लेखा प्रवृष्टि नहीं की गई।

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    इनके द्वारा प्रखंड में संचालित अन्य योजनाओं में भी लगभग 1.80 करोड़ रुपये के लेखा संधारण में चूक हुई। चतरा के तत्कालीन उपायुक्त की रिपोर्ट पर उनकी पेंशन से 50 प्रतिशत की राशि आजीवन कटौती के दंड के लिए उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया।

    उनके स्पष्टीकरण तथा उपायुक्त की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद राज्य सरकार ने तत्कालीन बीडीओ के विरुद्ध उनकी पेंशन से आजीवन 20 प्रतिशत की कटौती करने को लेकर जेपीएससी से मंतव्य मांगा।

    जेपीएससी ने पेंशन से 20 प्रतिशत की आजीवन कटौती पर सहमति जताते हुए मामले का विशेष अंकेक्षण कराने का सुझाव सरकार को दिया। यह भी कहा कि विशेष अंकेक्षण में गबन की पुष्टि होती है तो राशि की वसूली तत्कालीन बीडीओ से की जानी चाहिए।

    इस पर राज्य सरकार ने भी अपनी सहमति जताते हुए पेंशन की 20 प्रतिशत की आजीवन कटौती करने तथा विशेष अंकेक्षण में गबन की पुष्टि होने पर उक्त राशि वसूले जाने का निर्णय लिया।