आदिवासियों के लिए बड़ी सौगात, अब संथाली में भी होगा लोकसभा की कार्यवाही का अनुवाद
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को घोषणा की है कि सदन में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। इस फैसले से संथाली सांसदों को बड़ी राहत मिलेगी जो अपनी मातृभाषा में विचार रखना चाहते हैं। इस फैसले को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से आदिवासियों के लिए बड़ी सौगात के रूप में देखा जा रहा है।

जागरण संवाददाता, रांची l language Politics लोकसभा की कार्यवाही का अब संथाली समेत आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में अनुवाद होगा। पहले 18 भाषाओं में ही अनुवाद की सुविधा थी।
इसका विस्तार करते हुए अब कश्मीरी, कोंकणी और Santhali भाषा को भी इसमें जोड़ा गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को घोषणा की है कि सदन में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है।
इस फैसले से Jharkhand और Odisha के संथाली सांसदों को बड़ी राहत मिलेगी, जो अपनी मातृभाषा में विचार रखना चाहते हैं। इस फैसले को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से आदिवासियों के लिए बड़ी सौगात के रूप में देखा जा रहा है।
अभी तक लोकसभा में हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, कन्नड़, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू में अनुवाद की सुविधा मिलती थी।
संथाली भाषा को यह मान्यता मिलना झारखंड, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल के संथाल आदिवासियों के लिए सम्मान की बात है। यहां के लाखों आदिवासियों की मातृभाषा संथाली है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मातृभाषा भी संथाली है।
झारखंड के 14 में तीन सांसद-विजय हांसदा, नलिन सोरेन और जोबा मांझी की मातृभाषा संथाली है। संथाली में अनुवाद की सुविधा मिलना सांसदों के लिए बेहद अहम है।
सदन की कार्यवाही को अपनी मातृभाषा में समझ पाना और अपनी बात उसी भाषा में रखना अब उनके लिए आसान होगा। संथाली भाषा झारखंड और ओडिशा की आदिवासी संस्कृति और पहचान की मजबूत कड़ी मानी जाती है।
अब संथाली भाषा के सांसद अपनी बात मातृभाषा में रख सकेंगे बेधड़क lझारखंड के 14 में तीन सांसद हैं संथालीभाषी, यह लाखों आदिवासियों की मातृभाषा
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