Cyber Fraud: सेवानिवृत्त प्रोफेसर से 50 लाख की साइबर ठगी, अहमदाबाद से एक गिरफ्तार
सीआइडी के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने 49 लाख 98 हजार 888 रुपये की साइबर ठगी के मामले में अहमदाबाद से एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। वह गुजरात के कोडीनार जूनागढ़ जिले का निवासी है। पुलिस ने उसके पास से एक मोबाइल एक सिमकार्ड तीन एटीएम कार्ड एक हार्ड डिस्क व कांड से संबंधित वाट्सएप चैट बरामद किया है।

राज्य ब्यूरो, रांची । CID के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने 49 लाख 98 हजार 888 रुपये की साइबर ठगी के मामले में अहमदाबाद से एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपित रवि हसमुखलाल गोधनिया है।
वह गुजरात के कोडीनार जूनागढ़ जिले के कोडीनार गीन स्थित सत्यम सोसाइटी वेरावल के ब्लाक 86 का निवासी है। पुलिस ने उसके पास से एक मोबाइल, एक सिमकार्ड, तीन एटीएम कार्ड, एक हार्ड डिस्क व कांड से संबंधित वाट्सएप चैट बरामद किया है।
ठगी का यह मामला Cyber अपराध थाने में 14 मई को दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के वनस्पति शास्त्र विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं। वर्तमान में वे रांची के बूटी मोड़ के पास रहते हैं।
दर्ज प्राथमिकी में सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने शिकायत की थी कि साइबर अपराधियों ने उन्हें वाट्सएप काल के जरिये मनी लांड्रिंग के झूठे अपराध में फंसाने की धमकी दी थी।
आरोपितों ने खुद को बेंगलुरु पुलिस अधिकारी, केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियां जैसे सीबीआइ, एनसीबी व एनआइए का अधिकारी बताकर 300 करोड़ के मनी लांड्रिंग के एक मामले में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाया था।
लगातार वीडियो काल कर मानसिक दबाव बनाया और उनके खाते के सत्यापन के नाम पर उनके खाते से 49 लाख 98 हजार 888 रुपये का हस्तांतरण कर लिया।
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने अनुसंधान के आधार पर उक्त आरोपित को गिरफ्तार किया, जिसके पास से कांड से संबंधित साक्ष्य भी बरामद किए गए हैं।
एक दिन में उसके खाते में जमा हुए थे 79 लाख रुपये
गिरफ्तार आरोपित रवि हसमुखलाल गोधनिया के नाम पर इंडियन बैंक के खाता नंबर 20307033166 में पीड़ितों से ठगे गए रुपयों को जमा कराया जाता था, ताकि धोखाधड़ी की राशि को अन्य खातों में हस्तांतरित किया जा सके। एक दिन में इस बैंक खातूे में कुल 79 लाख रुपये जमा हुए थे।
इस खाता के विरुद्ध बेंगलुरु के साउथ डिविजन स्थित सीईएन क्राइम थाना में भी 12 जुलाई 2025 को एक प्राथमिकी दर्ज हुई थी। साइबर अपराध थाने की पुलिस ने उक्त खाते को फ्रीज कर दिया है।
इस खाते से हुए सभी लेन-देन की जांच की जा रही है। संभावना है कि आगे और गिरफ्तारियां होंगी और इस खाते का अंतरराज्यीय लिंक भी सामने आएगा।
ऐसे करते हैं ठगी
साइबर अपराधी स्वयं को केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों जैसे सीबीआइ, एनसीबी, क्राइम ब्रांच या एनआइए का अधिकारी बताकर पीड़ित को वीडियो काल करते हैं। काल के दौरान अपराधी सरकारी वर्दी पहने व्यक्ति का वीडियो दिखाकर विश्वास दिलाते हैं।
वे धमकाते हैं कि पीड़ित के नाम मनी लांड्रिंग या किसी अन्य गंभीर मामले में शामिल है। इसके बाद डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर पीड़ित को मानसिक रूप से भयभीत करते हैं। इसी भय का लाभ उठाकर आरोपित पीड़ित से ठगी के उद्देश्य से तत्काल भुगतान की मांग करते हैं।
भुगतान के लिए बैंक खाता डिटेल्स साझा करते हैं। पीड़ित से एक या एक से अधिक बार में बड़ी धनराशि ट्रांसफर करवा ली जाती है। पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि ऐसे किसी भी काल को महत्व न दें। पुलिस वीडियो काल से किसी की गिरफ्तारी या डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है।
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