Jharkhand Police: सारंडा में छिपे माओवादियों का हुक्का पानी बंद होगा, बनाए जा रहे आठ नए सुरक्षा कैंप
झारखंड के कई घोर माओवाद प्रभावित जिले अब शांत हो चुके हैं। बोकारो गिरिडीह रांची धनबाद पलामू लातेहार सरायकेला गढ़वा लोहरदगा गुमला सिमडेगा चतरा हजारीबाग आदि जिलों में अब माओवादी सिर्फ इक्का-दुक्का ही बचे हैं। पूरे राज्य में देखा जाए तो 85 माओवादियों की सूचना झारखंड पुलिस को है। 65 माओवादी सिर्फ सारंडा में हैं जिनकी घेराबंदी चल रही है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के कई घोर माओवाद प्रभावित जिले अब शांत हो चुके हैं। बोकारो, गिरिडीह, रांची, धनबाद, पलामू, लातेहार, सरायकेला, गढ़वा, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, चतरा, हजारीबाग आदि जिलों में अब माओवादी सिर्फ इक्का-दुक्का ही बचे हैं।
पूरे राज्य में देखा जाए तो 85 माओवादियों की सूचना झारखंड पुलिस को है, इनमें 45 इनामी हैं। कुल 65 माओवादियों में 65 माओवादी सिर्फ सारंडा में हैं, जिनकी घेराबंदी चल रही है।
सारंडा में ही सभी बड़े इनामी माओवादी हैं, जिनमें एक करोड़, 25 लाख, 10 लाख व पांच लाख के इनामी माओवादियों की संख्या अधिक है।
अब इन माओवादियों की घेराबंदी के लिए झारखंड पुलिस व ओडिशा पुलिस एक साथ मिलकर अपना अभियान चला रही है। इसके लिए आठ नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा रहे हैं।
ओडिशा और झारखंड सीमा में स्थापित किए जा रहे कैंप
इनमें तीन सुरक्षा कैंप ओडिशा व पांच सुरक्षा कैंप झारखंड सीमा में स्थापित किए जा रहे हैं। माओवादियों के खात्मे की तैयारी तेज है। उन्हें झारखंड पुलिस ने आफर दिया है कि वे राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाकर आत्मसमर्पण करें, नहीं तो पुलिस उन्हें खत्म करके ही दम लेगी।
मार्च 2026 तक राज्य से माओवादियों को खत्म करने का लक्ष्य है। इसी लक्ष्य का पीछा करते हुए झारखंड पुलिस ने इस साल अबतक 32 माओवादियों को मारा है।
पुलिस की सख्ती के बाद जिन माओवादियों ने हथियार डाले, आत्मसमर्पण किए, उनका कहना है कि उनके कई साथी आत्मसमर्पण के मूड में हैं, लेकिन उन्हें कोई विश्वासी मध्यस्तता कराने वाला नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते वे मुख्य धारा में नहीं लौट पा रहे हैं।
सुरक्षा कैंप रोकेंगे माओवादियों का हुक्का-पानी
माओवादियों की घेराबंदी में बनाए जा रहे आठ सुरक्षा कैंप सुरक्षा बलों के लिए बेहद मददगार साबित होंगे। सुरक्षा बलों ने खुफिया एजेंसियों से मिलीं सूचनाओं के आधार पर ही यह घेराबंदी की है।
इन सुरक्षा कैंपों के हो जाने से माओवादी जंगल से बाहर नहीं निकल पाएंगे। उनके निकलने के सभी रास्तों पर सुरक्षा बलों के कैंप बने व बनने जा रहे हैं।
ऐसी स्थिति में माओवादियों का राशन, पानी व दैनिक उपयोग की वस्तुओं का आवागमन रूक जाएगा। सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई माओवादियों को तोड़ने में सहायक साबित होगी।
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