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    Jharkhand: टेंडर कमीशन घोटाले में शामिल हरीश यादव ED की विशेष अदालत में पेश, मिली 4 दिन की रिमांड

    By Dilip KumarEdited By: Yashodhan Sharma
    Updated: Thu, 13 Jul 2023 06:38 PM (IST)

    वीरेंद्र राम के चार्टर्ड अकाउंटेंट मुकेश मित्तल के खास सहयोगी हरीश यादव को गिरफ्तार कर गुरुवार को ईडी की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया। यहां ईडी ने कोर्ट से पांच दिनों की रिमांड का आग्रह किया लेकिन अदालत ने उसे पूछताछ के लिए 4 दिन की अनुमति दी है।

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    टेंडर कमीशन घोटाले में शामिल हरीश यादव ED की विशेष अदालत में पेश, मिली 4 दिन की रिमांड

    राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड में पद का दुरुपयोग कर टेंडर में कमीशन से करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में पूर्व में गिरफ्तार ग्रामीण कार्य विभाग के निलंबित मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के सहयोगियों पर ईडी का घेरा कसता जा रहा है।

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    एक दिन पहले ही ईडी ने वीरेंद्र राम के चार्टर्ड अकाउंटेंट मुकेश मित्तल के खास सहयोगी हरीश यादव को गिरफ्तार किया था।

    आरोपी हरीश को गुरुवार को ईडी की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया गया, जहां ईडी ने कोर्ट से पांच दिनों की रिमांड का आग्रह किया।

    कोर्ट ने ईडी को हरीश यादव से पूछताछ के लिए चार दिनों की अनुमति दी है। इससे पूर्व ईडी की छानबीन में यह स्पष्ट हो गया है कि वीरेंद्र राम के काले धन को सफेद करने के लिए जिन बैंक खातों का उपयोग किया गया, उनका संचालन हरीश यादव ही कर रहा था।

    121.83 करोड़ रुपये कर चुका है हस्तांतरित

    वह पूर्व में गिरफ्तार ताराचंद, राम प्रकाश भाटिया व नीरज मित्तल सिंडिकेट का अहम हिस्सा है। आरोप है कि वह तारा चंद उर्फ सचिन गुप्ता के नाम पर फर्जी दस्तावेज पर खुले तीन कंपनियों के खातों से 121.83 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर चुका है।

    सभी बैंक खातों से रुपये हस्तांतरित करने के लिए जिन मोबाइल नंबरों पर ओटीपी आता था, उन मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल हरीश यादव ही करता था।

    हरीश यादव मूल रूप से राजस्थान के झुंझनू जिले के बुहाना तहसील स्थित संतोर गांव का रहने वाला है। उसकी अपनी कंपनी का नाम मेसर्स ओईकूल टेक्नोलोजी है।

    इस पूरे प्रकरण में अब तक ईडी ने वीरेंद्र राम के अलावा वीरेंद्र राम के चचेरे भाई आलोक रंजन, सहयोगी तारा चंद उर्फ सचिन गुप्ता, राम प्रकाश भाटिया, नीरज मित्तल और अब हरीश यादव को गिरफ्तार कर लिया है।

    पूछताछ में हुए कई खुलासे

    ईडी के अनुसंधान में यह खुलासा हुआ कि वीरेंद्र राम के पिता गेंदा राम के बैंक खाता 127000628767 में काले धन विभिन्न खातों से सफेद होकर आए। ये रुपये मेसर्स ओईकूल टेक्नोलोजी से भी आए थे, जिसके संचालक हरीश यादव हैं।

    इसके अलावा तारा चंद उर्फ सचिन गुप्ता के नाम की तीन फर्जी कंपनियां मेसर्स श्री खाटूश्याम ट्रेडर्स, मेसर्स अनिल कुमार गोविंद राम ट्रेडर्स व मेसर्स ओम ट्रेडर्स के बैंक खाते से भी रुपये स्थानांतरित हुए।

    पूछताछ में यह भी पता चला कि तारा चंद हरीश यादव का नजदीकी सहयोगी है। उसके तीन कंपनियों के बैंक खातों का संचालन नीरज मित्तल के निर्देश पर हरीश यादव ही करता था।

    हरीश यादव ने प्रारंभिक पूछताछ में ईडी को बताया है कि उसने तारा चंद के कहने पर चार्टर्ड अकाउंटेंट मुकेश मित्तल के चालक के बेटे मनीष के खाते में 10 लाख रुपये जमा किए थे।

    इसके बदले उसे दो हजार रुपये कमीशन में मिले थे। इसके बाद सभी 10 लाख रुपये वीरेंद्र राम के पिता गेंदा राम के खाते में स्थानांतरित हुए।

    पूर्व में ईडी की पूछताछ में नीरज मित्तल ने स्वीकारा था कि हरीश यादव उसके नीचे काम करता था और उसके निर्देश पर ही फंड का हस्तांतरण करता था।

    121.83 करोड़ रुपये का किया था हस्तांतरण

    उसने यह भी स्वीकारा कि ताराचंद के सभी बैंक खातों का संचालन हरीश यादव ही करता था। तारा चंद के तीनों बैंक खातों से कुल 121.83 करोड़ रुपये का हस्तांतरण हुआ था, जो हरीश यादव ने नीरज मित्तल के कहने पर किया था।

    उसने यह भी स्वीकारा कि उसने रामप्रकाश भाटिया से करीब दस बार नकदी ली थी और उसे विभिन्न खातों में हस्तांतरित किया था। वह दो मोबाइल फोन का उपयोग करता था, जिसे तारा चंद व नीरज मित्तल ने दिया था।

    इन्हीं मोबाइल पर बैंक ओटीपी आता था, जिससे फंड ट्रांसफर होता था। तारा चंद व नीरज के दिए हुए एक मोबाइल को वह चैट, मैसेजिंग के रूप में उपयोग करता था।

    इस आधार पर आगे बढ़ी ईडी की जांच

    पूरा मामला 16 नवंबर 2019 में जमशेदपुर में ग्रामीण कार्य विभाग के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा के घर से 2.44 करोड़ रुपये की बरामदगी से संबंधित है। तब सुरेश कुमार वर्मा को जमशेदपुर में डिमना चौक के पास एक ठेकेदार विकास कुमार शर्मा से 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था।

    इसके बाद एसीबी ने सुरेश कुमार वर्मा के आवास पर छापेमारी की थी, जहां से 2.44 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे।

    सुरेश कुमार वर्मा के घर से झारखंड एसीबी ने 64 हजार और उसके किरायेदार आलोक रंजन के घर से कुल 2 करोड़ 44 लाख 16 हजार रुपये यानि कुल 2 करोड़ 44 लाख 80 हजार रुपये बरामद हुए।

    इसके अलावा अभियंता के घर से निवेश के कागजात, फ्लैट के कागजात और करीब 100 ग्राम आभूषण भी जब्त किये थे।

    यह झारखंड पुलिस के इतिहास में एसीबी के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी। तब पुलिस ने जेई सुरेश कुमार वर्मा व उनके किरायेदार आलोक रंजन को जेल भेजा था।

    आलोक रंजन वीरेंद्र राम का चचेरा भाई है। बाद में छानबीन में यह स्पष्ट हो गया कि बरामद 2.44 करोड़ रुपये वीरेंद्र राम के थे, जो आलोक रंजन के माध्यम से निवेश करवाने के लिए रखे गए थे।