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    News Portal और यूट्यूब का पीआरडी में निबंधन जरूरी या नहीं, हाई कोर्ट करेगा तय

    Updated: Tue, 26 Aug 2025 01:43 PM (IST)

    न्यूज पोर्टल और यूट्यूब चैनलों को जनसंपर्क विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने के आदेश के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर अदालत ने असंतोष जताया है। सरकार की ओर बताया गया था कि यूट्यूब चैनल और पोर्टल पर कोई भ्रामक खबर न चलाए जाएं इस संबंध में पीआरडी से निबंधन करा कर ही चलाने को कहा गया है।

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    समाचार पोर्टल और यूट्यूब के निबंधन कराने के मामले में होई कोर्ट ने मांगा जवाब।

    राज्य ब्यूरो,रांची । झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सभी न्यूज पोर्टल और यूट्यूब चैनलों को जनसंपर्क विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने के आदेश के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई।

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    सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में सरकार को दोबारा जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई आठ सितंबर को होगी।

    सरकार का पक्ष - भ्रामक खबरों पर नियंत्रण के लिए निबंधन 

    सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर अदालत ने असंतोष जताया है। सरकार की ओर दाखिल जवाब में बताया गया था कि कई यूट्यूब चैनल और पोर्टल भ्रामक खबर चलाते हैं।

    कोई भ्रामक खबर न चलाए जाएं, इस संबंध में पीआरडी से निबंधन करा कर ही चलाने को कहा गया है, ताकि सरकार को पता चले कि इसका संचालन कौन कर रहा है।

    जिसे सरकार से विज्ञापन नहीं चाहिए उसका निबंध क्यों..

    प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2023 में झारखंड सरकार के स्पेशल ब्रांच ने राज्य के सभी जिला के डीसी और एसपी को पत्र लिखकर बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे यूट्यूब चैनल और पोर्टल पर कार्रवाई करने को कहा था। ऐसा आदेश जारी करना गलत और असंवैधानिक है।

    राज्य सरकार पोर्टल या यूट्यूब पर कार्रवाई नहीं कर सकती। पीआरडी राज्य सरकार का विज्ञापन देने का एक विभाग है। जिस समाचार पत्र या चैनल को सरकार से विज्ञापन नहीं चाहिए, वह पीआरडी के पास निबंधन के लिए नहीं जाता है।

    कंडम एंबुंलेंस में अटक रहीं सांसें

    झारखंड हाई कोर्ट ने कंडम 108 एंबुलेंस का मरीजों के लिए इस्तेमाल किए जाने पर सोमवार को स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी। अदालत ने उक्त संज्ञान मीडिया रिपोर्ट के आधार पर लिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल राज्य की सड़कों पर 436 एंबुलेंस ही दौड़ रही हैं।

    एमवीआइ रूल्स का उल्लंघन कर चलाई जा रहीं एंबुलेंस 

    इनमें से ज्यादातर एंबुलेंस कंडम हो चुकी हैं और एमवीआइ रूल्स का उल्लंघन करते हुए चलाई जा रही हैं। 337 एंबुलेंस 2015-16 में खरीदी गई थीं, जो चार से पांच लाख किमी से ज्यादा चल चुकी हैं।

    सेवा की शुरुआत में दावा किया गया था कि बड़ी संख्या में एंबुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) से लैस होगी, जो रोड साइड एक्सीडेंट और गंभीर मरीजों को गोल्डेन आवर में अस्पताल पहुंचाएगी। पता चला है कि मौजूदा वक्त में एंबुलेंस में इस प्रकार की सुविधा नहीं है।

    पूर्व में कंडम घोषित की जा चुकी एंबुलेंसों की मरम्मत के लिए अनुमानित राशि के आकलन के लिए उपायुक्त की निगरानी में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, समिति ने भी निरीक्षण के क्रम में कुछ एंबुलेंस को अनफिट घोषित कर दिया गया, लेकिन एंबुलेंस अभी भी चल रही हैं।