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    IBPS परीक्षा में पकड़े गए बिहार के दो फर्जी उम्मीदवार, पैसे के बदले करते थे फर्जीवाड़ा

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 02:17 AM (IST)

    बिहार में आईबीपीएस परीक्षा के दौरान दो फर्जी उम्मीदवार गिरफ्तार किए गए। ये पैसे लेकर दूसरों की जगह परीक्षा दे रहे थे। पुलिस ने एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है जो एडमिट कार्ड में हेरफेर करके दूसरों के बदले परीक्षा देने का काम करता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

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    IBPS परीक्षा में दो फर्जी उम्मीदवार पकड़े गए। सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, रांची। तुपुदाना ओपी क्षेत्र स्थित आईओएन डिजिटल जोन में आईबीपीएस आरआरबी 14 परीक्षा के दौरान दो फर्जी उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से पहले ही पकड़ लिया गया। शिकायतकर्ता अभिषेक मिश्रा सेंटर में कमांडिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं।

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    उन्होंने बताया कि 22 नवंबर को प्रथम पाली की परीक्षा के दौरान प्रवेश के समय आईडी कार्ड की जांच की जा रही थी। इसी दौरान दो संदिग्ध व्यक्तियों को पहचान सत्यापन में मेल न खाने पर पूछताछ की गई।

    पूछताछ में पहले व्यक्ति ने अपना नाम रजनीश कुमार (32 वर्ष), पिता सुरेंद्र प्रसाद, पता ग्राम रतनपुरा, थाना नूरसराय, जिला नालंदा (बिहार) बताया। उसने स्वीकार किया कि वह अपने मित्र सौरभ कुमार की जगह परीक्षा देने आया था।

    दूसरे आरोपित ने अपना नाम शिशुपाल कुमार ( 34 वर्ष), पिता स्व. सुखदेव प्रसाद, पता ग्राम बड़ारा, थाना नूरसराय, जिला नालंदा (बिहार) बताया। पूछताछ में उसने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि वह पहले भी तीन परीक्षाएं दूसरों के बदले दे चुका है। इस बार वह अपनी परीक्षा देने आया था।

    आईबीपीएस द्वारा उपलब्ध कराए गए पूर्व रिकार्ड और साक्ष्यों में भी दोनों आरोपितों के कई परीक्षाओं में फर्जी तरीके से शामिल होने के प्रमाण पाए गए हैं। सेंटर प्रशासन ने तुरंत तुपुदाना ओपी को सूचित किया।

    पुलिस ने दोनों के खिलाफ धुर्वा थाने में मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जिम्मेदारी प्रमोद कुमार मिश्रा को सौंप दिया गया है। पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी है।

    पैसा लेकर दूसरे के बदले परीक्षा देते थे आरोपित

    पुलिस के अनुसार पकड़े गए दोनों आरोपित पैसे के बदले दूसरों की जगह परीक्षाएं देने का काम करते थे। वे हर उम्मीदवार से अलग-अलग रकम तय करते थे। परीक्षा से पहले आधा भुगतान लिया जाता था, जबकि परीक्षा देने के बाद शेष राशि वसूली जाती थी।

    आोपित इसे एक संगठित तरीके से चला रहे थे। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इनके साथ और कौन लोग जुड़े हुए हैं तथा इस नेटवर्क के जरिए कितने परीक्षार्थी लाभ उठाते रहे हैं।