Jharkhand के समग्र विकास का रोड मैप गांवो,गरीबों और आदिवासियों की दशा के आलोक में बनाना होगा,संसदीय मामलों के जानकार अयोध्यानाथ मिश्र ने दिए सुझाव
संसदीय मामलों के जानकार अयोध्यानाथ मिश्र ने कहा कि झारखंड बनने के बाद भी राज्य को जितना विकसित होना चाहिए था, उतना नहीं हो पाया है। विकास के लिए जिम्मेदारी आधारित प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। राज्य के विकास का रोड मैप गांव, गरीब, आदिवासी के अनुसार बनाना होगा। उन्होंने राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।

अयोध्यानाथ मिश्र ने कहा कि झारखंड बनने के बाद राज्य में काफी काम हुए, परंतु आज भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
संजय कुमार, रांची। संसदीय मामलों एवं योजना विषय के जानकार एवं कई सामाजिक संगठनों से जुड़े अयोध्यानाथ मिश्र ने कहा कि झारखंड बनने के बाद राज्य में काफी काम हुए, परंतु आज भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। अलग राज्य निर्माण के बाद 25 वर्षों के सफर में राज्य को जहां पहुंचना चाहिए था, वहां अभी हम नहीं पहुंच पाए हैं।
हमें विकास प्रक्रिया को तय समय सीमा के अंदर पूरा करना होगा। जिम्मेदारी आधारित प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। भौगोलिक स्थिति के अनुसार योजना बनानी होगी। राज्य के समग्र विकास का रोड मैप गांव, गरीब, आदिवासी व पीजीटी की पारिवारिक दशा के आलोक में बनाना होगा।
अयोध्या नाथ मिश्र सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में जागरण विमर्श के तहत आयोजित कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे। विषय था-झारखंड के 25 वर्ष पूरे होने के बाद हम कहां पहुंचे और आगे क्या करना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम विकसित राज्यों को ध्यान में रखते हुए योजना क्यों नहीं बनाते हैं।
अपने से नीचे के राज्यो से तुलना क्यों करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने के बाद भी 25 वर्ष बाद हम देश में 26वें स्थान पर हैं। वहीं छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड कहां से कहां चला गया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में कई अस्पताल खुले, शिक्षण संस्थान भी खुले, परंतु गुणवत्ता नहीं है।
आज भी रिम्स की स्थिति को हम नहीं सुधार पाए। राज्य के किसी भी शिक्षण संस्थान को टाप 100 में स्थान नहीं दिला पाए। नगर निगमों की स्थिति आज भी वहीं है। ये सभी मौलिक विषय है। उन्होंने रेल सेवा की चर्चा करते हुए कहा कि रांची से दुमका को रेल लाइन के माध्यम से सीधे जोड़ा गया।
कोडरमा, टोरी सहित कई रेल लाइन बना। झारखंड ऐसा पहला राज्य है जो रेलवे में विकास के लिए स्वयं पैसे देता है। प्राथमिकता तय की गई कि रेल के क्षेत्र में काम करना है तो हुआ। इसी तरह सभी क्षेत्रों में प्राथमिकताएं तय करनी होगी।
जिम्मेदारी का दिखता है अभाव
उन्होंने कहा कि यहां जिम्मेदारी का अभाव दिखता है। वर्ष 1970 की सिंचाई योजना आज भी चल रही है। उसे समय से पूरा करने की जिम्मेदारी किसकी है। बजट में जब किसी योजना के लिए सदन से राशि तय कर दी जाती है फिर उससे संबंधित फाइलों को क्यों लटकाया जाता है।
इस पर रोक लगनी चाहिए। विभागों में समन्वय की कमी दिखती है। उन्होंने रोजगार के लिए अलग-अलग ट्रेडों में प्रशिक्षण देने पर जोर दिया। उग्रवाद प्रभावित इलाकों के विकास के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी धन देना चाहिए।
जमीन अधिग्रहण के लिए जनता का विश्वास जीतना होगा
अयोध्यानाथ मिश्र ने कहा कि राज्य में उद्योग नहीं लग पार रहे हैं। यहां जमीन अधिग्रहण की समस्या दिखती है। इसके लिए हमें जनता का विश्वास जीतना होगा। उन्हें लगता है कि जमीन लेने के बाद भी यहां काम नहीं होता है। बगल में बिहार चले जाइए। जमीन अधिग्रहण के लिए कोई विवाद नहीं होता है। लोगों को लगता है कि जमीन लेकर उसका सदुपयोग ही करेंगे। यहां से कई उद्योग दूसरे राज्यों में चले गए। सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
जागरण विमर्श के तहत आयोजित कार्यक्रम में रखी अपनी बात
- 25 वर्षों में राज्य में कई काम हुए, बहुत कुछ और करने की जरूरत
- विकास की गति आगे बढ़ानी होगी, तय सीमा के भीतर करने होंगे काम
- जिम्मेदारी आधारित प्राथमिकताओं को तय करना होगा
- भौगोलिक स्थिति के अनुसार योजना बनानी होगी
- राज्य में छोटे-छोटे कार्यों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए
- देशज उद्यम और घरेलू उद्योग को बढ़ावा दिया जाए

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