Jharkhand DMFT Scam: बिना काम किए हड़प ली गई 80 प्रतिशत राशि, डीएमएफटी में 1100 घोटाला, मामले में 28 नवंबर को सुनवाई
झारखंड उच्च न्यायालय में बोकारो डीएमएफटी घोटाले पर सुनवाई हुई, जिसमें 11 अरब रुपये की गड़बड़ी का आरोप है। याचिकाकर्ता ने बिना टेंडर के ठेके देने और 80% राशि हड़पने का आरोप लगाया। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की खरीद में अनियमितता और सीबीआई जांच की मांग की। अदालत ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

डीएमएफटी में करोड़ों रुपये के घोटाले और फंड के दुरुपयोग को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
राज्य ब्यूरो, रांची । Jharkhand DMFT Scam झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में बोकारो में जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) में करोड़ों रुपये के घोटाले और फंड के दुरुपयोग को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
मामले में राजकुमार ने हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है। प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2016 से अब तक डीएमएफटी फंड के नाम पर करीब 11 अरब रुपये की गड़बड़ी हुई है। बिना टेंडर के मनमाने तरीके से ठेके दिए गए और 80 प्रतिशत राशि बिना काम के ही हड़प ली गई।
इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण उपकरण और अन्य सामग्रियों की खरीद में भी भारी वित्तीय अनियमितता हुई है। प्रार्थी की ओर से अदालत को तस्वीर दिखाते हुए बताया गया कि जिन कामों का दावा किया जा रहा है, जमीन पर वैसा कुछ भी नहीं मिला।
उन्होंने आरोप लगाया कि ओपन मार्केट में 93 हजार रुपये कीमत वाले डिवाइस को 11 लाख रुपये में खरीदा गया है और कोटेशन के आधार पर मनमानी तरीके से काम आवंटित किए जा रहे हैं। उन्होंने सीबीआइ जांच की मांग भी दोहराई। अदालत ने इस मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने और प्रार्थी को अपना पक्ष दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
यह राशि खनन क्षेत्र और वहां के लोगों के विकास पर खर्च की जानी है। ज्ञात हो कि राज्य सरकार के अधिकारी और उपायुक्त की समिति पैसे खर्च करने की अनुशंसा करती है। लेकिन बोकारो में 80 प्रतिशत राशि बिना काम के ही हड़प ली गई है।
इस बारे में आरटीआइ के जरिए जानकारी प्राप्त की गई थी। सरकार की ओर से ही उपलब्ध कराए गए दस्तावेज से गड़बड़ी का पता चला। कुछ दिनों पहले बोकारों में एक चौक पर तीन करोड़ रुपये का एक तड़ित चालक यंत्र लगाया जाना था। लेकिन इसकी राशि पहले ही निकाल ली गई।
जब प्रार्थी की ओर से हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई थी, तब जाकर तड़ित चालक यंत्र लगाया गया। ऐसे में मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की गई। इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि चौक पर तड़ित चालक यंत्र लगा दिया गया है। इसके बाद अदालत ने कहा कि सरकार हस्तक्षेप याचिका में उठाए गए मुद्दों के बारे में जवाब दाखिल करे।

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