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    बिहार चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज, पड़ोसी राज्य में झारखंड के नेताओं का दबदबा; मिलेगी अहम जिम्मेदारी

    Updated: Sun, 01 Jun 2025 06:24 PM (IST)

    बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। झारखंड के प्रभावी नेताओं की भूमिका बढ़ने वाली है। भाजपा और कांग्रेस के नेता बिहार में चुनाव प्रचार और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे। झामुमो ने राजद के साथ गठबंधन कर 12 सीटों पर दावा किया है और चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है।

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    बिहार चुनाव में बढ़ेगी प्रभावी झारखंडी नेताओं की भूमिका। (जागरण)

    प्रदीप सिंह, रांची। बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हुई राजनीतिक गतिविधियों के बीच झारखंड में विभिन्न राजनीतिक दलों में मौजूद प्रभावी नेताओं की भूमिका बढ़ने वाली है।

    इस सिलसिले में राष्ट्रीय दलों की खास तैयारी है। भाजपा से लेकर कांग्रेस ने अंदरूनी तौर पर इसे आरंभ भी कर दिया है। झारखंड के प्रमुख भाजपा नेताओं को बिहार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं।

    सूत्रों के मुताबिक, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर झारखंड के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सूची तैयार की जा रही है, जो बिहार में बूथ प्रबंधन, मीडिया प्रचार और बड़े नेताओं के चुनावी दौरे की जिम्मेदारी संभालेंगे।

    हाल ही में झारखंड से पार्टी के राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा सहित कई नेता पटना के दौरे पर गए, जहां उन्होंने बिहार भाजपा के नेताओं के साथ रणनीतिक चर्चा की।

    झारखंड से सटे बिहार के जिलों में स्थानीय नेताओं को विशेष जिम्मेदारी दी गई है ताकि जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधा जा सके।

    बिहार से सटे आदिवासी बहुल इलाकों में खासतौर पर स्थानीय राजनीतिक समीकरण को देखते हुए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, चम्पाई सोरेन आदि प्रचार युद्ध के मोर्चे पर लगाए जा सकते हैं।

    इसके अलावा बूथ प्रबंधन समेत अन्य कार्यों में पूर्व में वहां काम का अनुभव रखने वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। भाजपा के पास ऐसे नेताओं-कार्यकर्ताओं की लंबी सूची है, जो चुनाव के मौके पर अन्य प्रांतों में जाकर कार्य करने में माहिर हैं।

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    कांग्रेस की भी तैयारी, कोलकाता में तेजस्वी से चर्चा भी

    कांग्रेस भी बिहार चुनाव में झारखंडी नेताओं के प्रभाव को भुनाने की कोशिश में है। पार्टी ने अपने कद्दावर नेताओं, खासकर मुस्लिम और आदिवासी चेहरों समेत सामान्य वर्ग के प्रभावी चेहरों को बिहार के उन क्षेत्रों में उतारने का फैसला किया है, जहां उनकी सामाजिक स्वीकार्यता मजबूत है।

    हाल ही में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, खाद्य आपूर्ति एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कोलकाता में राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की।

    भले ही यह मुलाकात तेजस्वी के पुत्र जन्म की बधाई देने के लिए बताई गई, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे बिहार चुनाव के लिए रणनीतिक तालमेल के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं को बिहार में प्रचार और संगठनात्मक कार्यों में अहम भूमिका दी जाएगी।

    इधर झामुमो का दमदार दावा, 12 सीटों पर फोकस

    झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार चुनाव में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने का इरादा जताया है। पार्टी ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ तालमेल की कोशिश की है और 12 सीटों पर दावा ठोका है।

    झामुमो का मानना है कि बिहार के आदिवासी बहुल और सीमावर्ती इलाकों में उसका जनाधार मजबूत है। झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में राजद कोटे का एक मंत्री भी है।

    पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ने यहां अपनी ताकत में बढ़ोतरी की है। हालांकि, तालमेल को लेकर आरंभ में खींचतान हुई, लेकिन अंततः बात बन गई।

    झामुमो को उम्मीद है कि बिहार में भी तालमेल हो जाएगा। वैसे गठबंधन धरातल पर नहीं हुआ तो झामुमो के पास विकल्प है। झामुमो ने चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है।