गठबंधन में गांठ! JMM के तल्ख तेवर का पड़ेगा गहरा प्रभाव; कांग्रेस बेचैन
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन से किनारा कर लिया है। पार्टी छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी क्योंकि राजद और कांग्रेस से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। झामुमो ने यह भी कहा है कि बिहार चुनाव के बाद झारखंड में कांग्रेस-राजद के साथ गठबंधन की समीक्षा की जाएगी। इस निर्णय से कांग्रेस में बेचैनी है और विपक्षी एकता को भी चोट पहुंचेगी।
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महागठबंधन पर फैसला ले सकते हैं हेमंत सोरेन। (जागरण)
प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन से किनारा काट लिया है। पार्टी ने छह सीटों चकाई, धमदाहा, कटोरिया (एसटी), मनिहारी (एसटी), जमुई और पीरपैंती पर स्वतंत्र रूप से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है।
झामुमो के मुताबिक गठबंधन के बड़े घटक दलों राजद और कांग्रेस से बार-बार संपर्क किया गया, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। 14 अक्टूबर की समय सीमा के बाद पार्टी को फैसला लेना पड़ा।
झामुमो के इस निर्णय के स्पष्ट मायने हैं कि झारखंड में अपनी जड़े मजबूत करने के बाद उसकी योजना पड़ोसी राज्यों में विस्तार की है। इसे मजबूत करने का समय आ गया है। हालांकि, झारखंड में झामुमो ने गठबंधन के घटक दलों के साथ परस्पर सम्मान की नीति पर काम किया है।
2019 के विधानसभा चुनाव में राजद को तालमेल के तहत सात सीटें मिली। केवल चतरा से उसके प्रत्याशी जीत पाए, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में नंबर तीन की पोजिशन मिली। 2024 के विधानसभा चुनाव में राजद को छह सीटें लड़ने के लिए मिली और उसे चार पर कामयाबी मिली।
सरकार बनने के बाद मंत्री का एक पद राजद के हिस्से आया। लेकिन बिहार में राजद-कांग्रेस के रुख ने झामुमो को एक बार फिर से गठबंधन के फार्मूले पर नए सिरे से विचार करने पर विवश किया है।
बिहार चुनाव के बाद गठबंधन की समीक्षा से बढ़ी सुगबुगाहट
झामुमो ने बिहार के अपने अनुभव के बाद बड़ा निर्णय किया है। पार्टी ने स्पष्ट कहा है कि चुनाव समाप्त होने के बाद झारखंड में कांग्रेस-राजद के साथ गठबंधन की समीक्षा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से चार और राजद से एक मंत्री हैं।
इन दलों पर झामुमो की अभी निर्भरता है। यहां कभी इसे लेकर पूर्व में विवाद की नौबत नहीं आई है। समीक्षा की चेतावनी से कांग्रेस में ज्यादा बेचैनी है, क्योंकि चुनिंदा राज्यों में पार्टी सत्ता में है। अगर झारखंड में उलटफेर हुआ तो यह राज्य उसके हाथ से निकल सकता है।
एक वरिष्ठ कांग्रेसी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि झामुमो के तल्ख तेवर से आलाकमान तक संदेश पहुंचा है। बिहार में दोस्ताना मुकाबला पहले से चल रहा है, जहां कांग्रेस और राजद कई सीटों पर आमने-सामने हैं। अब झामुमो का अकेले उतरना विपक्षी एकता को चोट पहुंचाएगा। राजद के भितरखाने भी इसे लेकर सुगबुगाहट है।
राजद अगर गठबंधन से हटा तो भी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, कांग्रेस के मुताबिक अभी गुंजाइश बाकी है। झामुमो गठबंधन का एक महत्वपूर्ण घटक दल है और उसके सम्मान का हर संभव ख्याल रखा जाना चाहिए।
गठबंधन के घटक दलों को इसका अहसास है कि हेमंत सोरेन कड़े फैसले लेने में माहिर हैं। ऐसे में अगर उन्होंने अलग रुख अख्तियार किया तो नए राजनीतिक समीकरण की भी नौबत आ सकती है।
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