ED ने उजागर किया झारखंड में टेंडर कमीशन घोटाला, 44 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को किया कुर्क
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड में टेंडर कमीशन घोटाले का खुलासा करते हुए 44 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हुई इस कार्रवाई में कई जगहों पर छापेमारी की गई और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। ईडी मामले की गहराई से जांच कर रही है।
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कमीशन की राशि से खड़ी 44 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को ईडी ने अस्थाई रूप से किया कुर्क। सांकेतिक फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में टेंडर आवंटन में कमीशन घोटाला मामले की जांच कर रही ईडी ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल की पत्नी रीता लाल सहित आठ आरोपितों के विरुद्ध चौथा पूरक आरोप पत्र दाखिल किया है।
अन्य आरोपितों में ठेकेदार राजेश कुमार, उनकी कंपनियां मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स परमानंद सिंह बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, ठेकेदार राधा मोहन साहू, अंकित साहू, ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम के सहयोगी अतिकुल रहमान व ठेकेदार राजीव कुमार सिंह शामिल हैं।
गत 22 अक्टूबर को रांची स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत में दाखिल अपने इस चौथे आरोप पत्र में ईडी ने बताया है कि आरोपितों ने टेंडर आवंटन में कमीशन की राशि से 44 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की, जिसकी जांच एजेंसी ने पहचान करते हुए उसे अस्थाई रूप से कुर्क किया है।
ईडी ने न्यायालय से सभी आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा चलाने व अपराध की आय से अर्जित संपत्तियों को जब्त करने का अनुरोध किया है। आरोपितों पर अपराध की आय अर्जित करने, उसका प्रबंधन करने व मनी लांड्रिंग में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है। इन आठ आरोपितों के साथ इस पूरे प्रकरण में मनी लांड्रिंग के कुल आरोपितों की संख्या 22 हो गई है।
ED, Ranchi has filed its fourth Supplementary Prosecution Complaint (PC) on 22.10.2025 before the Hon’ble Special PMLA Court, Ranchi, in the ongoing money laundering investigation into a massive corruption syndicate within the Rural Works Department, Government of Jharkhand in…
— ED (@dir_ed) October 24, 2025
ठेकेदार राजेश कुमार ने वीरेंद्र राम को दी थी 1.88 करोड़ रुपये की रिश्वत
अपने चौथे पूरक आरोप पत्र में ईडी ने न्यायालय में बताया है कि टेंडर आवंटन के लिए तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को ठेकेदार राजेश कुमार ने अपनी कंपनियों मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स परमानंद सिंह बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर 1.88 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
उन्होंने इसके अलावा दो लग्जरी गाड़ियां टोयटा इनोवा व टोयटा फार्च्यूनर भी उपलब्ध कराया था। एक अन्य ठेकेदार राधा मोहन साहू ने भी 39 लाख रुपये की रिश्वत दी थी।
उन्होंने अपने बेटे अंकित साहू के नाम पर पंजीकृत फार्च्यूनर गाड़ी भी गिफ्ट किया था। ईडी ने तीनों ही लग्जरी गाड़ियों को वीरेंद्र राम के ठिकाने से जब्त की थी। इस पूरक आरोप पत्र में ईडी ने काले धन के प्रबंधन करने वाले अधिकारियों के सहयोगियों की भी जानकारी दी है।
तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम के सहयोगी अतिकुल रहमान के परिसरों की तलाशी में 4.40 लाख रुपयों की जब्ती हुई थी। अधिकारियों के एक अन्य सहयोगी ठेकेदारा राजीव कुमार सिंह के आवास से अलग तलाशी में 2.13 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी। राजीव कुमार सिंह ने पूछताछ में लगभग 15 करोड़ रुपये की कमीशन राशि जुटाने व उसके इस्तेमाल की जानकारी स्वीकारी है।
एसीबी जमशेदपुर में दर्ज केस के आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग के तहत शुरू की थी जांच
ईडी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) जमशेदपुर में दर्ज केस के आधार पर ही मनी लांड्रिंग से संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की थी। वहां एसीबी ने एक जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
इसके बाद तलाशी में एसीबी को विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम से जुड़े परिसरों से 2.67 करोड़ रुपये नकदी मिले थे, जिसकी जब्ती हुई थी। पूर्व में दाखिल तीन आरोप पत्रों में ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग में बड़े भ्रष्टाचार की जानकारी न्यायालय से साझा करते हुए तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम के कमीशन वसूली का ब्यौरा प्रस्तुत किया था।
ईडी ने जांच में ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम की भूमिका का भी खुलासा किया था और बताया था कि उन्हें टेंडर आवंटन में एक निश्चित राशि कमीशन में मिलती थी। मंत्री आलमगीर आलम के लिए कमीशन की राशि की वसूली उनके निजी सचिव संजीव कुमार लाल व उनके सहयोगी करते थे।
छापेमारी में 37 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्ती, सीए-एंट्री आपरेटर की भूमिका उजागर
ईडी ने पूर्व में की गई तलाशी में इस गिरोह से जुड़ी 37 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी की जब्ती की थी। इसमें 32.20 करोड़ रुपये मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के सहयोगी जहांगीर आलम के ठिकाने से जब्त की गई थी।
घोटाले की अधिकांश नकदी को हवाला के माध्यम से दिल्ली भेजा गया। वहां चार्टर्ड अकाउंटेंट्स व एंट्री आपरेटरों के नेटवर्क के माध्यम से सफेद किया गया। उक्त राशि से करोड़ों रुपये मूल्य की अचल संपत्तियां खरीदी गईं।

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