झारखंड: जनजातीय उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार, नए मंचों का निर्माण
केंद्र सरकार जनजातीय उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचाने के लिए नए प्लेटफार्म बनाने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करना है। नए प्लेटफार्मों में ऑनलाइन पोर्टल और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले शामिल होंगे, जिससे जनजातीय उद्यमी अपने उत्पादों को सीधे विदेशी ग्राहकों तक पहुंचा सकेंगे।

जनजातीय उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने की योजना पर काम चल रहा है।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य के जनजातीय उत्पादों को अंतराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच दिलाने के लिए केंद्र सरकार पहल करेगी। झारखंड में वनोपज और औषधीय गुण वाले उत्पादों की पूरी श्रृंखला है। इसके जरिए आदिवासी युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार के साथ व्यापार से जोड़ने के लिए नई योजनाओं की बात कही है। जनजातीय कार्य मंत्रालय झारखंड के युवाओं की क्षमता बढ़ाएगा और उन्हें उद्यमी के तौर पर तैयार करेगा। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर यह योजना प्रारंभ की गई है।
पहले चरण में 500 युवाओं को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। आदिवासी उत्पादों के वितरण से जुड़े सुमित मित्तल ने बताया कि एक समर्पित ई कामर्स साइट के जरिए विदेशों तक झारखंड की आदिवासी कलाकृति को बाजार उपलब्ध कराने की योजना है। इसमें बिना किसी बिचौलिए के यहां के स्थानीय लोग अपनी कलाकृतियों को बेच सकेंगे।
उच्च गुणवत्ता वाले गोदाम और खुदरा बिक्री केंद्र भी बनेंगे
उद्योग मंत्रालय की योजना के मुताबिक राज्य में आदिवासी उत्पादों के वितरण नेटवर्क के लिए उच्च क्षमता वाले गोदाम का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा झारखंड की विशिष्ट पहचान वाली कलाकृतियों के लिए राज्य में और बाहर भी कियोस्क लगाए जाएंगे।
इसे खुदरा बिक्री केंद्र के तौर पर स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आदिवासी समुदाय को बिना किसी बाधा के व्यापार की सुविधा देने के लिए आसान मैकनिज्म बनाने के लिए विभाग से कहा है।

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