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    बिहार में महागठबंधन को झटका, JMM का अकेले चुनाव लड़ने का एलान; BJP ने कसा तंज

    By PRADEEP KUMAR SINGHEdited By: Piyush Pandey
    Updated: Sat, 18 Oct 2025 09:30 PM (IST)

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन से अलग होने का एलान किया है। पार्टी बिहार की 6 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। झामुमो ने राजद पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। भाजपा ने महागठबंधन पर झामुमो को अपमानित करने का आरोप लगाया है। झामुमो ने कहा कि वह सम्मान से समझौता नहीं करेगा।

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    झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य। (जागरण फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने गठबंधन से अलग होकर बिहार की 6 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है। 

    झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि राजद ने बार-बार आश्वासन देकर झामुमो को ठगा, जिसके चलते पार्टी ने बिहार में छह सीटों - चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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    इनमें कटोरिया और मनिहारी अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षित सीटें हैं, जबकि पीरपैंती अनुसूचित जाति (एससी) सीट है। सुप्रियो ने बताया कि आगामी दिनों में सीटों की संख्या 10 तक बढ़ सकती है।

    सुप्रियो ने कहा कि झारखंड में झामुमो ने हमेशा राजद को सम्मान दिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में राजद को सात सीटें दी गईं, जिनमें से एकमात्र विजयी उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता को पांच साल तक कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से सम्मान दिया और हर कार्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान दिया। 2024 के चुनाव में राजद को छह सीटें दी गईं, जिनमें चार उम्मीदवार जीते और एक को महत्वपूर्ण विभाग के साथ कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

    सुप्रियो ने कहा कि हमने राजद को झारखंड में पूरा सम्मान दिया, लेकिन बिहार में हमें बार-बार इंतजार करने की नसीहतें मिलीं। झामुमो सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन सम्मान से समझौता नहीं।

    भाजपा ने किया तंज, महागठबंधन ने झामुमो को बिहार में औकात दिखाई

    भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा है कि बिहार में सीट बंटवारे के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ जो व्यवहार महागठबंधन ने किया है, वह राजनीतिक अपमान है। महागठबंधन के दलों ने उसे उसकी राजनीतिक औकात दिखा दी।

    महागठबंधन का यह व्यवहार झामुमो की खोखली राजनीतिक हैसियत को भी उजागर करता है। उन्होंने कहा कि झामुमो बिहार में महागठबंधन से 12 सीटों की मांग कर रहा था, लेकिन उन्हें एक भी सीट नसीब नहीं हुई।

    प्रतुल ने कहा कि बिहार में तो झामुमो को दरवाजे से अंदर घुसने नहीं दिया गया जबकि झारखंड में यही झामुमो, कांग्रेस और राजद जैसे दल को अपने सिर पर बैठाए घूम रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता ने खुद कहा कि कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने झामुमो के पीठ में खंजर घोंपा है।

    प्रतुल ने तंज कसते हुए कहा कि अब सवाल यह है कि क्या इस अपमान के बाद झामुमो झारखंड में राजद और कांग्रेस के मंत्री को मंत्रिमंडल से बाहर करेगा या फिर महागठबंधन में बने रहने के लिए चुपचाप इस बेइज्जती को स्वीकार करेगा। लंबे समय से झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंडी अस्मिता के विपरीत बिहार के चौराहे पर खड़ा होकर कटोरा लेकर सीटों के लिए भिक्षा मांग रहा था।