जेपीएससी ने नियमावली का नहीं किया पालन, घंटी आधारित शिक्षकों से कराया कापी मूल्यांकन, हाई कोर्ट ने जवाब देने के लिए दिया समय
झारखंड हाई कोर्ट में प्रशासनिक सेवा नियुक्ति में जेपीएससी नियमावली प्रक्रिया का पालन नहीं किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत को बताया गया कि जेपीएससी की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा रहा है। इस पर अदालत ने एक सप्ताह में जेपीएससी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

राज्य ब्यू्रो, रांची । झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में प्रशासनिक सेवा नियुक्ति में जेपीएससी नियमावली प्रक्रिया का पालन नहीं किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि जेपीएससी की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा रहा है। इस पर अदालत ने एक सप्ताह में जेपीएससी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा कि अगर जेपीएससी इसके बाद भी जवाब दाखिल नहीं करता है तो फिर उसे जवाब दाखिल करने का मौका नहीं मिलेगा।
अदालत ने यह भी कहा कि अगर सरकार की ओर से नियुक्ति प्रक्रिया की जाती है तो कोर्ट के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी।
इस संबंध में राजेश प्रसाद व अयूब तिर्की सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अजीत कुमार, कुमार हर्ष और शुभाशीष रसिक सोरेन ने पक्ष रखा।
अदालत को बताया कि 11वीं जेपीएससी में निर्धारित नियमावली की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। नियमानुसार अभ्यर्थियों की कापी का मूल्यांकन करने वाले शिक्षक के पास दस साल कालेज में पढ़ाने का अनुभव या पांच साल तक पीजी कालेज में पढ़ाने का अनुभव होना चाहिए।
जेपीएससी परीक्षा में घंटी आधारित शिक्षकों ने अभ्यर्थियों की कापी का मूल्यांकन किया है, जिनके पास डेढ़ साल का अनुभव है। इसलिए परीक्षा परिणाम को निरस्त किया जाए।
कोर्ट को बताया गया कि जेपीएससी जानबूझ कर जवाब दाखिल नहीं कर रहा है, ताकि नियुक्ति कर दिया जाए और अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाना पड़े।
इस पर अदालत ने कहा कि नियुक्ति से संबंधित राज्य सरकार अगर कोई फैसला लेती है,तो वह हाई कोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होगा।
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