Sadar Hospital में बड़ी लापरवाही का मामला आया सामने, थैलेसीमिया बच्चा Blood चढ़ाने के बाद हो गया एचआइवी संक्रमित, कोर्ट ने लिया संज्ञान
झारखंड हाई कोर्ट ने रक्त चढ़ाने के बाद बच्चे को एचआइवी संक्रमित होने पर स्वत संज्ञान लिया है। अदालत ने इस मामले में स्वास्थ्य सचिव और रांची सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को प्रतिवादी बनाते हुए जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को संभव है। थैलेसीमिया बच्चे को रांची सदर अस्पताल में ब्लड चढ़ाया गया था। उसके बाद उसे एचआइवी संक्रमित पाया गया।

जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने रक्त चढ़ाने के बाद बच्चे को एचआइवी संक्रमित होने पर स्वत: संज्ञान लिया है।
अदालत ने इस मामले में स्वास्थ्य सचिव और रांची सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को प्रतिवादी बनाते हुए जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को संभव है।
जानकारी के अनुसार थैलेसीमिया बच्चे को रांची सदर अस्पताल में ब्लड चढ़ाया गया था। उसके बाद उसे एचआइवी संक्रमित पाया गया।
बच्चे के पिता ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। इस पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव और सिविल सर्जन से जवाब मांगा है।
विंडो पीरियड में संक्रमित को पहचान पाना मुश्किल
इधर, सदर अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि इस मामले की जांच हो चुकी है और इसका जवाब कोर्ट में दिया जाएगा। यह आठ माह पुराना मामला है, जिसे लेकर तीन बार जांच कर रिपोर्ट बनायी जा चुकी है।
अभी शिकायत मिलने के बाद कोर्ट ने संज्ञान लिया है। बताया गया कि कोई भी ब्लड पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
यदि कोई व्यक्ति रक्तदान करता है और उसे कुछ दिन पहले ही एचआइवी हुआ हो तो उसके ब्लड जांच में यह नहीं आएगा। इसे विंडो पीरियड कहा जाता है।
इस पीरियड में यदि कोई संक्रमित है तो उसे पहचान पाना मुश्किल है। ऐसे में वैसे रक्तदान से बचा जाता है जो प्रोफेशनल है, उन्हें रक्तदान करने से मना किया जाता है। सदर अस्पताल में तीन स्तर से ब्लड की जांच होती है जिसमें इस तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकती है।
रक्तदान के बाद हर यूनिट की होनी है पांच अनिवार्य जांच :
रक्तदान के बाद किसी भी ब्लड बैंक में प्राप्त रक्त तभी सुरक्षित माना जाता है, जब उसकी सभी अनिवार्य जांच पूरी हो जाए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के अनुसार प्रत्येक रक्त इकाई की पांच अनिवार्य जांच की जाती है, ताकि मरीज तक केवल सुरक्षित रक्त ही पहुंच सके।
क्या हैं ये पांच जांच
- एचआइवी जांच : एड्स से बचाव के लिए
- एचबीएस एंटीजन जांच : हेपेटाइटिस-बी संक्रमण रोकने के लिए
- एंटी एचसीवी : हेपेटाइटिस-सी की पहचान के लिए
- सिफलिस (वीडीआरएल व टीपीएचए जांच) : यौन संचारित रोग की पहचान के लिए
- मलेरिया परजीवी की जांच : रक्त से मलेरिया न फैले इसके लिए
इनके अतिरिक्त कई रक्त बैंकों में रक्त समूह (एबीओ और आरएच), हीमोग्लोबिन स्तर और आधुनिक एनएटी जांच भी की जाती है।
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