SIR पर बिहार के बाद अब झारखंड में राजनीतिक घमासान, सत्ता और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी
झारखंड में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। झामुमो गठबंधन ने इसे आदिवासी विरोधी साजिश बताया है जबकि भाजपा इसे मतदाता सूची के शुद्धीकरण के लिए आवश्यक बता रही है। झामुमो का आरोप है कि भाजपा घुसपैठियों के नाम पर वोट बैंक को कमजोर करना चाहती है। वहीं भाजपा का कहना है कि अवैध प्रवासियों से स्थानीय समुदायों के हितों को नुकसान हो रहा है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) गठबंधन और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को पुनरीक्षित करने का यह कदम दस्तावेजों की जांच पर केंद्रित है, जिसमें संदिग्ध मतदाताओं के नाम हटाने की कवायद होगी। बिहार में इसकी शुरुआत के बाद अब अक्टूबर से झारखंड में इसे लागू करने की योजना है।
हालांकि, इस मुद्दे ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें आदिवासी, मूलवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के हितों को लेकर गंभीर आरोप-प्रत्यारोप सामने आ रहे हैं।
महागठबंधन ने किया SIR का विरोध
झामुमोनीत गठबंधन ने एसआइआर को आदिवासी और अन्य कमजोर वर्गों के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश करार दिया है। गठबंधन का दावा है कि यह कदम भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जो घुसपैठियों के नाम पर उनके वोट बैंक को कमजोर करना चाहती है।
झामुमो महासचिव विनोद पांडेय का कहना है कि दस्तावेजों की जांच के नाम पर आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदायों के मतदाताओं को लक्षित किया जा सकता है, जिससे उनके मताधिकार को नुकसान पहुंचेगा।
झारखंड विधानसभा पहले ही एसआइआर के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर चुकी है और गठबंधन अब राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शनों की तैयारी कर रहा है। झामुमो का तर्क है कि यह प्रक्रिया न केवल विभिन्न समुदायों के अधिकारों का हनन करेगी, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकती है।
भाजपा ने बताया शुद्धिकरण के लिए आवश्यक
भाजपा ने एसआइआर को मतदाता सूची के शुद्धीकरण के लिए आवश्यक कदम बताया है। पार्टी का कहना है कि संताल परगना और कोल्हान जैसे आदिवासी क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठ और तथाकथित लव जेहाद के कारण जनसांख्यिकी बदलाव हुए हैं।
इन क्षेत्रों में अवैध प्रवासियों की मौजूदगी ने स्थानीय समुदायों के हितों को नुकसान पहुंचाया है। एसआइआर के जरिए केवल वैध मतदाताओं को सूची में रखा जाएगा, जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ेगी। भाजपा ने इस मुद्दे को आदिवासी क्षेत्रों में अपनी राजनीतिक पैठ बढ़ाने के अवसर के रूप में भी देखा है।
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