रांची के सिविल सर्जन ने हाई कोर्ट में स्वीकारी चूक,खून चढ़ाने के बाद बच्चे के एचआइवी संक्रमित होने का मामला
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में खून चढ़ाने के बाद एक बच्चे के एचआइवी संक्रमित होने के मामले में सुनवाई हुई। गुरुवार को सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामला बेहद संवेदनशील है।

राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में खून चढ़ाने के बाद एक बच्चे के एचआइवी संक्रमित होने के मामले में सुनवाई हुई। गुरुवार को सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने सरकार से पूछा कि कोई पेशेवर रक्तदाता एचआइवी पाजिटिव है या नहीं, इसकी जांच कैसे की जाती है और जांच में एचआइवी पाजिटिव पाए जाने पर वह रक्तदान नहीं करे, इसके लिए क्या प्रविधान किया जाता है?
ऐसे मामलों को रोकने के लिए सरकार की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में क्या किया जाएगा, इसकी पूरी जानकारी शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा गया है।
सुनवाई के दौरान रांची के सिविल सर्जन प्रभात कुमार उपस्थित थे। सिविल सर्जन ने कहा कि जांच की जाती है। बिना जांच के खून नहीं चढ़ाया जाता।
इसपर कोर्ट ने पूछा कि तब खून चढ़ाने के बाद बच्चा एचआइवी पीड़ित क्यों हो गया तो सिविल सर्जन ने कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि चूक हुई है।
कोर्ट ने पूछा कि यदि कोई पेशेवर रक्तदाता है और वह एचआइवी पीड़ित हो जाए, तो इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाते हैं।
सिविल सर्जन ने बताया कि ऐसे मामलों में अभिभावकों को इसकी जानकारी दी जाती है। कोर्ट के कुछ अन्य सवालों का सिविल सर्जन ने तत्काल जवाब देने में असमर्थता जताई। इसके बाद अदालत ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
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