झारखंड शराब घोटाला: उत्पाद सचिव मनोज कुमार से ACB करेगी पूछताछ, खुल सकते हैं कई बड़े राज
रांची में शराब बिक्री घोटाले की जांच एसीबी ने तेज कर दी है। उत्पाद सचिव मनोज कुमार पर एमआरपी से अधिक वसूली और बंदरबांट के आरोप हैं। एसीबी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है जिसमें फर्जी बैंक गारंटी और एक खास बीयर कंपनी को लाभ पहुंचाने जैसे सवाल शामिल हैं। जांच में पता चला है कि वसूली का पैसा नीरज कुमार सिंह और अंशु के जरिए पहुंचाया जाता था।

प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में शराब की बिक्री में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक वसूली और उसकी बंदरबांट के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है।
इस घोटाले में उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार पर गंभीर आरोप लगे हैं। एसीबी ने मनोज कुमार को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है, जिसमें फर्जी बैंक गारंटी, अनधिकृत भुगतान और एक खास बीयर कंपनी को लाभ पहुंचाने जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए गए हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि निजी एजेंसी के कर्मचारी नीरज कुमार सिंह और मनोज कुमार के करीबी रिश्तेदार अंशु के जरिए वसूली का पैसा पहुंचाया जाता था। अंशु को हर माह ज्यादा वसूली मद में 50 लाख रुपये दिया जाता था।
एसीबी ने मनोज कुमार के लिए विस्तृत प्रश्नावली तैयार की है। एसीबी के एक वरीय अधिकारी के अनुसार उनसे पूछा जाएगा कि एमआरपी से अधिक वसूली की प्रक्रिया किसके जरिए संचालित की गई और इसमें कौन-कौन शामिल थे? इसके अलावा फर्जी बैंक गारंटी से संबंधित तथ्यों को छिपाने का आधार क्या था?
जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि मेसर्स मार्शन और विजन हॉस्पिटैलिटी जैसी प्लेसमेंट एजेंसियों ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर ठेके हासिल किए, जिससे सरकार को 38.44 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
एसीबी यह भी जानना चाहती है कि बिना मंत्री की जानकारी के 11 करोड़ रुपये का भुगतान दो कंपनियों को क्यों और कैसे किया गया?
जांच में सामने आया है कि निजी एजेंसी मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह इस घोटाले में वसूली का प्रमुख किरदार था। नीरज कुमार सिंह मनोज कुमार के लिए अवैध वसूली का काम करता था। इसके अलावा मनोज कुमार के साले अंशु के जरिए यह पैसा पहुंचाया जाता था।
एसीबी ने नीरज कुमार सिंह को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और अब मनोज कुमार से इस सिलसिले में पूछताछ की तैयारी है।
किसके प्रेशर में खास बीयर कंपनी को पहुंचाया लाभ
एसीबी की जांच में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि एक खास बीयर कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए दबाव डाला गया। बीयर के अन्य प्रचलित ब्रांडों को रोककर उसकी आपूर्ति काफी अधिक बढ़ा दी गई।
दुकानदारों पर इसे बेचने का दबाव बनाया गया। यह सवाल उठता है कि इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी और इसके पीछे कौन लोग थे?
जानकारी के मुताबिक शराब नीति में बदलाव और ठेकों के आवंटन में कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की गई।
छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया का नाम भी इस मामले में सामने आया है, जिसपर शराब नीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है।
फर्जी बैंक गारंटी और प्रशासनिक लापरवाही
जांच में यह भी पाया गया कि मनोज कुमार के कार्यकाल में फर्जी बैंक गारंटी के बावजूद प्लेसमेंट एजेंसियों से वसूली नहीं की गई।
नौ महीनों में घाटा 200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, लेकिन विभाग ने बिना किसी कार्रवाई के केवल डिमांड नोटिस जारी किए। यह संकेत देता है कि विभागीय सचिव को गारंटी की वास्तविकता पता थी, फिर भी निजी कंपनियों को जानबूझकर लाभ पहुंचाया गया।
घोटाले को उजागर करने वाले दो आईएएस अफसर देंगे गवाही
एसीबी ने अब तक 27 लोगों को पूछताछ समन जारी किया है। पूर्व उत्पाद सचिव विनय चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और जेएसबीसीएल के पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार, सुधीर कुमार दास गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
उत्पाद सचिव मनोज कुमार को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है। जांच में शामिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों करण सत्यार्थी और फैज अक अहमद से भी गवाह के तौर पर पूछताछ होगी। इन दोनों अफसरों ने शराब घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई है।

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