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    Ranchi News: हाई कोर्ट की डेटलाइन खत्म होने के बाद भी नहीं हटे कब्जाधारी, नोटिस फाड़कर जताया विरोध, रिम्स प्रशासन ने बुलडोजर उतारा

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 01:40 PM (IST)

    रांची के रिम्स परिसर को अतिक्रमण मुक्त कराने के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी डेटलाइन खत्म होने तक कोई बदलाव नहीं आया है। रिम्स ने नोटिस लगाए, पर कब ...और पढ़ें

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    रिम्स में अतिक्रमण हटाने की हो रही कार्रवाई।

    जागरण संवाददाता, रांची। रिम्स परिसर को अतिक्रमण मुक्त कराने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन ने भले ही कार्रवाई शुरू कर दी हो, लेकिन 48 घंटे बीत जाने के बाद भी जमीनी हालात में कोई बदलाव नहीं दिखा था। डेटलाइन खत्म होने के साथ ही रिम्स परिसर में प्रशासन की टीम बुलडोजर के साथ पहुंच गई है

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    रिम्स प्रबंधन ने अब तक परिसर के 148 स्थानों पर नोटिस चस्पा किए हैं, लेकिन एक भी अतिक्रमणकारी ने स्थल नहीं छोड़ा। उलटे शुक्रवार को कथित कब्जाधारियों ने बैठक कर स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी हाल में अपनी जमीन खाली नहीं करेंगे। शनिवार को रिम्स परिसर में प्रशासनिक अमला पहुंचा। कोर्ट की सख्ती के बाद आखिरकार अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ। 

    गुरुवार को नोटिस लगाए जाने के बाद ही परिसर के कई हिस्सों में विरोध शुरू हो गया था। शुक्रवार को यह विरोध और तेज हो गया। प्रभावित परिवारों ने सामूहिक बैठक कर कहा कि वे वर्षों से यहां रह रहे हैं। उनके पास रजिस्ट्रेशन, म्यूटेशन और कर भुगतान के दस्तावेज तक मौजूद हैं। ऐसे में अचानक 72 घंटे में घर खाली करने का आदेश न तो तर्कसंगत है और न ही मान्य। कई लोगों ने कहा कि यदि प्रशासन उन्हें हटाना चाहता है, तो पहले पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित करे।

    ...और नोटिस फाड़ डाला

    स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब प्रबंधन द्वारा चस्पा किए गए नोटिसों को लोगों ने घरों से उतारकर फाड़ दिया। लोगों ने आरोप लगाया कि यह नोटिस स्वयं में अवैध है और उच्च न्यायालय के आदेश की आड़ में उन्हें अचानक बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है। उनका कहना है कि वर्षों से बनी बस्तियां, दुकानें, धार्मिक स्थल, सामुदायिक भवन और दूध काउंटर किसी भी तरह से अस्थायी अतिक्रमण की श्रेणी में नहीं आते।

    अवैध रूप से पक्का और कच्चा निर्माण

    इधर, रिम्स प्रशासन का दावा है कि परिसर की लगभग सात एकड़ जमीन पर पक्का और कच्चा निर्माण कर लिया गया है, जिसकी पुष्टि हाल में झालसा की टीम ने भी अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में भी की है। टीम ने परिसर में पक्के मकान, दुकान, खेती और कई असंगठित निर्माणों का विवरण प्रशासन को सौंपा था।

    अदालत ने इन रिपोर्टों को गंभीरता से लेते हुए 72 घंटे की अवधि में कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। अब प्रशासनिक दबाव और स्थानीय विरोध दोनों के बीच रिम्स प्रबंधन कठिन स्थिति में है। शनिवार तक 72 घंटे की अवधि पूरी हो जाएगी और उसके बाद जिला प्रशासन व पुलिस बल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

    फिलहाल स्थिति यह है कि अतिक्रमणकारी पीछे हटने को तैयार नहीं, जबकि रिम्स प्रबंधन उच्च न्यायालय की निगरानी में कार्रवाई के लिए बाध्य है। रिम्स परिसर की यह जटिल स्थिति आने वाले दिनों में रांची शहर की सबसे बड़ी प्रशासनिक चुनौती बनने जा रही है। प्रशासन की ओर से कच्चे मकान व दुकान पर ही काईवाई होगी या पक्के निर्माण पर काईवाई होगी या नहीं यह देखना अभी शेष है।

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    सालों से होता रहा कब्जा, प्रबंधन रहा लापरवाह

    • रिम्स की करीब 10 एकड़ जमीन पर वर्षों से अवैध कब्जा होता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसे रोकने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाया।
    • इतने बड़े पैमाने पर जमीन पर अवैध कब्जे के बावजूद, रिम्स प्रबंधन द्वारा अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई थी, जिससे उनकी लापरवाही स्पष्ट होती है।
    • झालसा (JHALSA) की रिपोर्ट के अनुसार, पुराने इमरजेंसी गेट के पास मंदिर, 10-20 दुकानें, ठेले वाले, डीआईजी ग्राउंड इलाके में बुद्ध पार्क, तीन से चार बहुमंजिली इमारतें और 150 से अधिक कच्चे-पक्के मकान बनाए जा चुके हैं।
    • अस्पताल की व्यवस्था पर असर: इस अतिक्रमण के कारण अस्पताल की व्यवस्था, एंबुलेंस की आवाजाही, ट्रॉमा सेंटर और कार्डियोलॉजी विभाग के बाहर भारी जाम लगता है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी होती है।