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    Jharkhand News: दिव्यांगता को मात देकर बुलंद हौसले से बनीं पीजीटी, मुख्यमंत्री के हाथों मिला नियुक्ति पत्र

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 03:00 AM (IST)

    हजारीबाग की शिखा जैन दिव्यांग होते हुए भी शिक्षा के माध्यम से प्रेरणा का स्रोत बनीं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें पीजीटी के पद पर नियुक्त किया। इंफाल से शिक्षा प्राप्त शिखा को कई पुरस्कार मिले हैं जिनमें राष्ट्रपति कलाम का सम्मान भी शामिल है। उनकी कहानी मणिपुर बोर्ड की पाठ्यपुस्तक में शामिल है।

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    दिव्यांगता को मात देकर बुलंद हौसले से बनीं पीजीटी (शिखा फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, रांची। संघर्ष की राह पर कभी हार न मानने वाली शिखा जैन आज उन सबके लिए प्रेरणा बन गई हैं, जो कठिनाइयों के बीच अपने सपनों को सच करना चाहते हैं। हजारीबाग की रहने वाली शिखा ने दिव्यांग होने के बावजूद शिक्षा को अपना हथियार बनाया और मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पीजीटी (हजारीबाग, कॉमर्स) के पद पर नियुक्ति प्राप्त की।

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    शिखा जैन की शिक्षा इंफाल, मणिपुर से हुई है। उन्होंने बीकाम, एमकाम और बीएड की डिग्रियाँ हासिल कीं। कॉमर्स स्ट्रीम में प्रथम टॉपर रहीं शिखा को अब तक प्रेसिडेंट अवार्ड, गवर्नर अवार्ड और इंस्पिरेटरी अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

    उनकी लगन और उत्कृष्टता को देखते हुए देश के महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति डा.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने उन्हें सम्मानित किया।उन्होंने यूजीसी-नेट, मणिपुर शिक्षक पात्रता परीक्षा और सीटीईटी जैसी कठिन परीक्षाएँ भी पास कीं। उनकी जीवन यात्रा इतनी प्रेरणादायी रही कि मणिपुर बोर्ड की कक्षा छह की नैतिक शिक्षा की पाठ्यपुस्तक में बी अ हीरो व हीरोइन शीर्षक से उनका जीवन-प्रसंग शामिल किया गया।

    उनकी जीवन यात्रा चुनौतियों से भरी रही। महज सात साल की उम्र में वे बम ब्लास्ट की चपेट में आकर घायल हो गई लेकिन उस दर्दनाक हादसे ने ही उनके भीतर जज्बा जगाया।

    इस कठिन राह में उनकी माँ सबसे बड़ी ताकत बनी। शिखा ने बताया कि जब भी उन्हें सहायता की आवश्यकता होती है उनकी मां हमेशा साथ खड़ी होती है।

    उनके बुलंद हौसले की असली वजह उनकी माँ का त्याग और परिवार का सहयोग है। शिखा ने कहा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन को दिशा देती है, आत्मनिर्भर बनाती है और समाज को बदलने की ताकत रखती है।

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