Jharkhand News: रांची में विकसित सोयाबीन स्वर्ण वसुंधरा के स्वाद के मुरीद बन रहे कई फिल्म स्टार, कई राज्यों में है डिमांड
रांची के कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा और मटर की स्वर्ण तृप्ति प्रजाति देशभर में लोकप्रिय हो रही हैं। कम लागत में अधिक उपज के कारण किसानों में इसकी मांग बढ़ रही है। इन प्रजातियों में पोषक तत्वों की भरमार है, जिसके कारण ये सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। फिल्म स्टार सलमान खान भी स्वर्ण तृप्ति के मुरीद हैं।

कुमार गौरव,रांची । कृषि प्रणाली का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र रांची में अक्सर नए-नए अनुसंधान किए जा रहे हैं। इससे इस केंद्र की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। कुछ दिनों पूर्व केंद्र में विकसित सोयाबीन की प्रजाति स्वर्ण वसुंधरा और मटर की प्रजाति स्वर्ण तृप्ति ने पूरे देश में पहचान बनाई है।
इन दोनों प्रजातियों की जबरदस्त डिमांड है और कम रकबा में अधिक उपज के कारण इन दोनों प्रजातियों की मांग किसानों के बीच भी लगातार बढ़ रही है। केंद्र में 426.8 एकड़ के कुल क्षेत्र में दो प्रक्षेत्र, एक आवासीय परिसर और एक पशुधन उत्पादन इकाई है, जहां सब्जियों की विभिन्न प्रजातियों की प्रायोगिक उपज की जा रही है।
वर्तमान में केंद्र में 16 विज्ञानी कार्यरत हैं, जो अलग अलग सब्जियों की वेरायटी विकसित करने में लगे हैं। केंद्र के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डा. आरएस पान के नेतृत्व में विकसित स्वर्ण वसुंधरा और स्वर्ण तृप्ति ने कम रकबा में अधिक उपज का रिकार्ड कायम किया है।
विशेषता यह है कि दोनों की प्रजातियों को लोग कच्चा और पकाकर खा सकते हैं। कच्चा में ये प्रजातियां बेहद मीठी होती हैं और पौष्टिक होने के कारण इनका डिमांड भी अधिक है।
14 राज्यों में होती है सप्लाई
स्वर्ण वसुंधरा और स्वर्ण तृप्ति की सप्लाई नार्थ ईस्ट के सात राज्यों के अलावा बिहार, बंगाल, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर की कमेटी सेंट्रल वेरायटी कमेटी, हार्टिकल्चर की अनुशंसा पर की जा रही है।
बता दें कि इन दो प्रजातियों का परीक्षण और मूल्यांकन तीन वर्षों तक होता रहा ताकि इनके पोषक तत्वों की मात्रा का सही पता चल सके। स्थानीय किसानों में इन दो वेरायटी की जबरदस्त मांग है। ये वेरायटी स्थानीय बाजार से लेकर महानगरों और विदेशों तक भेजी जा रहीं हैं।
यहां तक कि स्वर्ण तृप्ति की मांग मुंबई के फिल्म स्टार सलमान खान ने भी की थी और अपनी पार्टी में इस प्रजाति को उपयोग में लाया था। मुंबई के कारोबारी चंद्रकांत देशमुख प्रतिमाह झारखंड से 50 किलो स्वर्ण तृप्ति मंगाते हैं ताकि फिल्म स्टार्स को उपलब्ध कराया जा सके।
दरअसल, स्वर्ण तृप्ति मटर की ऐसी प्रजाति है जिसे छिलका समेत सलाद के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसमें पोषक तत्वों की भरमार होती है।
स्वर्ण वसुंधरा में है पोषक तत्वों की भरमार
स्वर्ण वसुंधरा में पोषक तत्वों की भरमार होने के कारण लोग इस सोयाबीन वैरायटी के मुरीद हैं। इस प्रजाति में प्रोटीन, आयरन, गुड कोलेस्ट्रोल, कैल्शियम, जिंक, विटामिन ए, सी और ई, फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।
इस प्रजाति के जर्मप्लाज्म यानी जनन द्रव्य को केंद्र द्वारा द वर्ल्ड वेजिटेबल सेंटर ताईवान से मंगाया गया था। वहां से मंगाए गए जर्मप्लाज्म को प्लांडू स्थित केंद्र में बेहतर तरीके से विकसित कर प्रायोगिक खेती की गई और आज यह प्रजाति रांची समेत पूरे झारखंड की पहचान बन चुकी है।
पुणे और रायपुर में होती है प्रोसेसिंग
सोयाबीन से सोया दूध, दही, पनीर, रसगुल्ला समेत अन्य प्रोडक्ट तैयार करने के लिए पुणे और रायपुर में प्रोसेसिंग प्लांट तैयार किया गया है। यहां से भेजे गए कच्चे माल से कई प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। इसका सीधा लाभ यहां के किसानों को मिल रहा है।
जिले के नगड़ी के किसान अनिल कुमार महतो बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती कर रहे हैं और पुणे से लेकर अन्य जगहों पर सप्लाई भी कर रहे हैं। वहीं एक अन्य किसान एमलिन कांडुलिना भी सोयाबीन की खेती करने के साथ साथ अन्य प्रोडक्ट भी तैयार कर रही हैं।
यूं तो दोनों प्रजातियां सेहत और किसानी के लिहाज से बेहतर है, लेकिन स्वर्ण वसुंधरा में कई ऐसे पोषक तत्व हैं जो हार्ट पेशेंट के लिए लाभप्रद है। कई सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाने के कारण इसे एथलिट और युवा पसंद कर रहे हैं। मुंबई के एक चिकित्सक डा. संजीव अग्रवाल तो प्रतिमाह सोयाबीन मंगाते हैं और इससे कई प्रोडक्ट तैयार कर मरीजों को देते हैं।
- डा. आरएस पान, प्रिंसिपल साइंटिस्ट।

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