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    Jharkhand News: माओवादियों की साजिश का शिकार हुई 10 साल की बच्ची, IED ब्लास्ट से शरीर के उड़े चीथड़े

    By SUDHIR KUMAR PANDEYEdited By: Krishna Bahadur Singh Parihar
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 01:49 PM (IST)

    झारखंड के गिरिडीह जिले में नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी ब्लास्ट में 10 साल की बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई। बच्ची जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने गई थी, तभी वह इस ब्लास्ट का शिकार हो गई। इस घटना से इलाके में दहशत का माहौल है और ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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    ब्लास्ट में बच्ची की मौत

    संवाद सूत्र, मनोहरपुर। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले के सारंडा वन क्षेत्र में मंगलवार की सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ। जराईकेला थाना क्षेत्र के दीघा–तिलापोसी जंगल में माओवादियों द्वारा लगाए गए आईईडी विस्फोटक की चपेट में आने से 10 वर्षीय बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई।

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    मृतका की पहचान सिरिया हेरेंज (पिता जयमसीह हेरेंज, निवासी दीघा गांव) के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, सिरिया मंगलवार सुबह करीब 9 बजे अपनी सहेलियों के साथ जंगल में सियाल पत्ता तोड़ने गई थी।

    इसी दौरान वह माओवादियों द्वारा सुरक्षाबलों को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से लगाए गए आईईडी बम पर पैर रख बैठी, जिससे जोरदार विस्फोट हो गया।

    घटनास्थल पर ही गई जान, पैर के चीथड़े उड़े

    विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार, धमाके में बच्ची का नीचे का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। सूचना पाते ही जराईकेला थाना पुलिस और सीआरपीएफ जवानों की टीम मौके पर पहुंची और शव बरामद करने में जुट गई।

    पूर्व में भी आईईडी विस्फोट में गई हैं कई जानें

    सारंडा और इसके आसपास के क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में आईईडी ब्लास्ट की कई घटनाएँ हो चुकी हैं। पश्चिमी सिंहभूम जिले में पिछले तीन वर्षों में आईईडी विस्फोट में अब तक छह से अधिक सुरक्षा बाल के जवान, आठ ग्रामीण और तीन वन्यजीव (तीन हाथी व एक जंगली सुअर) की मौत हो चुकी है।

    नक्सली संगठन सुरक्षाबलों की गतिविधियों को रोकने के लिए जंगल के रास्तों में सैकड़ों आईईडी बिछा चुके हैं, जिनकी चपेट में अक्सर ग्रामीण, बच्चे और जानवर आ जाते हैं।

    क्षेत्र में सर्च अभियान तेज, दहशत का माहौल

    घटना के बाद पुलिस और सीआरपीएफ ने आसपास के इलाकों में सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। इलाके के ग्रामीणों में भय और आक्रोश दोनों है। वे मांग कर रहे हैं कि प्रशासन सारंडा को आईईडी मुक्त क्षेत्र घोषित कर वहां स्थायी अभियान चलाए।