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    नेपाल में 27 बच्चे बंधक बनाकर कराए जा रहे थे काम, दो भागकर लौटे; 25 बच्चों की सकुशल वापसी को प्रशासन सक्रिय

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 09:22 PM (IST)

    चाईबासा के रांगामाटी गांव से 27 नाबालिग बच्चों को उच्च शिक्षा का सपना दिखाकर नेपाल ले जाया गया, जहां उन्हें बंधक बनाकर मजदूरी कराई जा रही थी। 7 दिसंबर ...और पढ़ें

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    नेपाल में बंधक बनाए गए बच्‍चों की जानकारी मिलने के बाद परिजनों से मिलने पहुंचे अधिकारी।

    संवाद सहयोगी, चाईबासा। चाईबासा मुख्यालय से सटे पंडावीर पंचायत के रांगामाटी गांव से 27 नाबालिग बच्चों को उच्च शिक्षा और उज्जवल भविष्य का सपना दिखाकर नेपाल ले जाया गया था। जहां उन्हें बंधक बनाकर मजदूरी कराया जा रहा था। 
     
    यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब 7 दिसंबर को दो बच्चे किसी तरह नेपाल से फरार होकर अपने गांव पहुंचे। उनके अनुसार बाकी 25 बच्चे अभी भी नेपाल में बंधक बने हुए हैं। 
     
    लौटे बच्चों ने बताया कि न तो पढ़ाई कराई गई और न ही कोई सुविधा दी गई, बल्कि बौद्ध धर्म अपनाने का दबाव बनाते हुए उन्हें प्रताड़ित किया गया।


    मुंडन कराकर पहनाए गए बौद्ध वस्त्र, विरोध पर मारपीट 

    फरार होकर लौटे दोनों बच्चों के बयान ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। उन्होंने बताया कि काठमांडु पहुंचते ही उनका मुंडन करा दिया गया और बौद्ध मंक जैसे वस्त्र पहनाए गए। 
     
    बच्चों को मंदिरनुमा परिसर में रखा जाता था और रोजाना श्रम कराने के लिए मजबूर किया जाता था। विरोध करने पर मारपीट होती थी और बाहर जाने की सख्त मनाही थी।


    गांव के मुंडा और बिचौलियों पर गंभीर आरोप 

    परिजनों का आरोप है कि गांव के मुंडा श्रीराम जोंको ने 11 नवंबर 2025 को बच्चों को नेपाल भेजा था। इसके साथ ही नारायण कांडेयांग और बासिल हम्ब्रेम नामक व्यक्तियों ने भी पूरी साजिश में अहम भूमिका निभाई। 
     
    बिचौलियों ने परिजनों को भरोसा दिलाया था कि बच्चे नेपाल में पीजी तक पढ़ सकेंगे और बाद में उन्हें अच्छी नौकरी मिलेगी। लेकिन वहां ले जाकर बच्चों को कथित शिक्षा के बजाय बंधक बनाकर प्रताड़ित किया गया।


    बच्चों को छुड़ाने के नाम पर पैसे की मांग 

    दो बच्चों के लौटने के बाद जब परिजनों ने मुंडा और बिचौलियों से बाकी बच्चों को वापस लाने की गुहार लगाई, तो उनसे मोबाइल पर पैसे की मांग की गई। परेशान परिजन आखिरकार जिला मुख्यालय पहुंचे और उपायुक्त चंदन कुमार से न्याय की गुहार लगाई।

    मामला गंभीर समझते हुए उपायुक्त चंदन कुमार तुरंत हरकत में आए और सदर एसडीओ संदीप अनुराग टोपनो तथा एसडीपीओ बहामन टुटी को गांव भेजा। अधिकारियों ने सोमवार को गांव पहुंचकर लौटे बच्चों के बयान दर्ज किए और सभी परिजनों से विस्तृत जानकारी ली।

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    जानकारी मिलने के बाद डीसी सक्रिय, टीम गांव भेजी 

    जिला प्रशासन ने श्रम विभाग के साथ मिलकर नेपाल प्रशासन से संपर्क साधा है। 25 बच्चों की सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 
     
    वहीं प्रशासन अब दोषियों के खिलाफ मानव तस्करी एवं बच्चों को बंधक बनाकर रखने जैसे संगीन अपराधों के तहत एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है। घटना के बाद पूरे गांव में दहशत और गुस्सा फैल गया है। परि