कुड़मी-महतो काे समर्थन देने वाले जन प्रतिनिधियों को नेपाल जैसी सजा देंगे, आदिवासियों ने दी चेतावनी
कोल्हान आदिवासी एकता मंच ने कुड़मी महतो समुदाय को आदिवासी सूची में शामिल करने की मांग का कड़ा विरोध किया गया। वक्ताओं ने कहा कि कुड़मी-महतो काे समर्थन देने वाले जन प्रतिनिधियों को नेपाल जैसी सजा देंगे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।

जागरण संवाददाता, चाईबासा। शहर में हरिगुटू स्थित आदिवासी हो समाज महासभा कला संस्कृति भवन में मंगलवार को कोल्हान आदिवासी एकता मंच के बैनर तले बैठक हुई।
बैठक में कुड़मी महतो समुदाय को आदिवासी सूची में शामिल करने की मांग का कड़ा विरोध किया गया। वक्ताओं ने कहा कि कुड़मी-महतो काे समर्थन देने वाले जन प्रतिनिधियों को नेपाल जैसी सजा देंगे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक की अध्यक्षता बिहार विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ चंपिया ने की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कुड़मी महतो किसी भी कीमत पर आदिवासी सूची में शामिल नहीं हो सकते।
यदि जनप्रतिनिधि इस मांग का समर्थन करेंगे तो उन्हें नेपाल में हुई घटनाओं की तर्ज पर व्यापक जनविरोध का सामना करना पड़ेगा। बैठक में समाज ने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में चरणबद्ध आंदोलन तेज किया जाएगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि 19 सितंबर को कोल्हान के सभी जिलों में आदिवासी समाज की ओर से बाइक रैली निकालकर विरोध दर्ज कराया जाएगा।
सांसद–विधायकों को 23 सितंबर तक राय स्पष्ट करने का अल्टीमेटम
23 सितंबर तक कोल्हान क्षेत्र के सांसद और विधायकों को अपनी राय सार्वजनिक करने का अल्टीमेटम दिया गया है। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि जो जनप्रतिनिधि स्पष्ट रूप से विरोध में नहीं खड़े होंगे, उन्हें जनता के सामने कटघरे में खड़ा किया जाएगा।
कोल्हान आदिवासी एकता मंच के नेताओं ने कहा कि कुड़मी महतो न तो आजादी से पहले और न ही आजादी के बाद कभी आदिवासी सूची में शामिल रहे हैं। ऐसे में उन्हें शामिल करना आदिवासियों की अस्मिता, पहचान, भाषा, संस्कृति और आरक्षण पर सीधा आघात होगा।
मंच ने यह भी चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस मांग पर गंभीर हुई, तो कोल्हान क्षेत्र में 72 घंटे की आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर होगी रिट याचिका, चलेगा जागरूकता अभियान
वक्ताओं ने यह भी निर्णय लिया कि इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की जाएगी। इसके अलावा गांव-गांव में जाकर आदिवासी समाज को जागरूक किया जाएगा और कुड़मी महतो की मांग को ‘षड्यंत्र’ करार देते हुए समाज को उससे अवगत कराया जाएगा।
पत्राचार और मसौदा तैयार करने के लिए एक ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन भी किया गया। बैठक को कोल्हान आदिवासी एकता मंच के संयोजक यदुनाथ तियू, कोषाध्यक्ष रामाय पुरती, मानकी मुंडा संघ अध्यक्ष गणेश पाठ पिंगुवा, हो समाज महासभा केन्द्रीय अध्यक्ष इपिल सामड, युवा महासभा महासचिव गब्बर सिंह हेम्ब्रम आदि ने संबोधित किया।
स्वशासन एकता मंच अध्यक्ष कुसुम केराई, मंझारी जिप सदस्य माधव चंद्र कुंकल और अन्य वक्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल कोल्हान ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड और देश के आदिवासी समाज का आंदोलन बनेगा।
बैठक का संचालन यदुनाथ तियू और धन्यवाद ज्ञापन कृष्णा चंद्र बिरूली ने किया। बैठक में स्पष्ट कहा गया कि इस पहल के विरोध में कोल्हान में 72 घंटे की आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी।
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