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    चाईबासा के निकट जंगली हाथियों का डेरा, टुटूगुटू-कासेया में ग्रामीणों की चिंता बढ़ी

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 03:47 PM (IST)

    चाईबासा में सिंहपोखरिया रेलवे स्टेशन के पास जंगली हाथियों का झुंड आने से हड़कंप मच गया है। झुंड में लगभग 15 हाथी हैं जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। यह झुंड झींकपानी प्रखंड के नवागांव के जंगल से आया है और डाकुवाबासा के जंगलनुमा टीले में शरण लिए हुए है। वन विभाग की टीम निगरानी कर रही है और ग्रामीणों को हाथियों से दूर रखने की कोशिश कर रही है।

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    चाईबासा के निकट जंगली हाथियों का डेरा

    जागरण संवाददाता, चाईबासा। चाईबासा सदर वन प्रमंडल अंतर्गत सिंहपोखरिया रेलवे स्टेशन के नजदीक टुटूगुटू तथा कासेया गांव के पास जंगली हाथियों का एक झुंड आकर रुकने से इलाके में हड़कंप मच गया है।

    चाईबासा शहर के महज पांच किलोमीटर नजदीक हाथियों के आने से लोगों की भीड़ भी जुटनी शुरू हो गयी है। लोगों ने बताया कि झुंड में करीब 15 जंगली हाथी हैं और बहुत सारे बच्चे भी हैं। सुबह को यह झुंड यहां आया।

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    ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों का यह झुंड झींकपानी प्रखंड के नवागांव के समीपस्थ जंगल से आया हुआ है। अभी तक जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। हाथियों का यह झुंड फिलहाल डाकुवाबासा स्थित जंगलनुमा टीले में शरण लिया हुआ है और सौ मीटर के दायरे में विचरण कर रहा है। सुबह से ही यह झुंड यहीं ठहरा हुआ है।

    हाथियों को देखने उमड़े ग्रामीण

    जैसे ही खबर फैली कि हाथियों का एक झुंड झींकपानी प्रखंड के टुटूगुटू गांव के नजदीक आया हुआ है, आसपास गांवों के ग्रामीणों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी। हरकोई हाथी देखने को बेसब्र हुआ जा रहा था।

    इधर, सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम ने भी मौके पर आकर मोर्चा संभाल लिया है। वनकर्मी भीड़ को हाथियों के नजदीक जाने से रोकने के कार्य में जुट गये हैं। वनकर्मी चारों ओर से हाथियों के झुंड की निगरानी भी कर रहे हैं।

    ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों से कोई बड़ा नुकसान की खबर तो अभी तक नहीं है। लेकिन डाकुवाबासा में एक घर के बाहर रखी साइकिल को तोड़े जाने की बात सामने आयी है। लेकिन मकानों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है।

    बहरहाल, हाथियों के आने से टुटूगुटू, कासेया, मडबेड़ा, दुनुमगुटू, कुन्दूबेड़ा, ईचागूटू, सुरजाबासा, अर्जुनाबासा, सिंहपोखरिया, केलेंडे आदि गांवों के किसान दहशत में हैं। उनको डर है कि हाथी कहीं उनके खेतों की फसल को नुकसान ना पहुंचा दे। हालांकि ग्रामीणों की कोशिश कर रहे हैं कि हाथी रिहायशी इलाकों में और खेतों में ना उतर पाये। ताकि नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।