क्रिसमस के लिए नहीं बना था 'जिंगल बेल्स', जानें क्या है इसका असली इतिहास
क्रिसमस का लोकप्रिय गाना 'जिंगल बेल्स' क्रिसमस के मौके पर अक्सर गाया या बजाया जाता है। सहम सभी बचपन से इसे क्रिसमस सॉन्ग ही मानते आए हैं, लेकिन आपको ज ...और पढ़ें

कैसे बना यह थैंक्सगिविंग का गाना क्रिसमस का एंथम (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में आज यानी गुरुवार को क्रिसमस का त्योहार मनाया जा रहा है। हर साल 5 दिसंबर को प्रभु यीशू के जन्मदिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। यह ईसाई धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे हर साल धूमधाम से मनाते हैं। इस खास मौके पर बाजारों में रौनक और रंग-बिरंगी सजावट देखने को मिलती है। साथ ही इस दौरान उपहारों का लेन-देन भी आम बात है।
इन सबके अलावा क्रिसमस की पहचान एक खास धुन से भी होती है, जिसके बिना इसका सेलिब्रेशन लगभग अधूरा-सा लगता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं क्रिसमस के मशहूर सॉन्ग 'जिंगल बेल्स' (Jingle Bells) की। हालांकि, हैरानी की बात यह है कि जिस धुन के बिना आज क्रिसमस अधूरा लगता है, उसका मूल रूप से इस त्योहार से कोई लेना-देना नहीं है। आइए, इस मशहूर गीत के पीछे की रोचक कहानी को जानते हैं:-
किसने लिखा यह गाना?
इस लोकप्रिय गाने को जेम्स लॉर्ड पियरपोंट ने लिखा और संगीतबद्ध किया था। दिलचस्प बात यह है कि जेम्स, मशहूर फाइनेंसर जे.पी. मॉर्गन के मामा थे। पियरपोंट परिवार का बैंकिंग की दुनिया में बड़ा नाम था, लेकिन जेम्स ने संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।
क्रिसमस के लिए नहीं बना था गीत
बचपन से हम सब इस गीत को क्रिसमस पर गाते आए हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि असल में इस गाने को बनाने के पीछे की वजह कुछ और थी। दरअसल, यह गाना वास्तव में पहली बार थैंक्सगिविंग (Thanksgiving) के दौरान एक चर्च सर्विस में गाया गया था।
इसलिए अगर आप इस गीत के शब्दों को गौर से सुनेंगे, तो पाएंगे कि इसमें 'क्रिसमस' या किसी धार्मिक उत्सव का कोई जिक्र नहीं किया गया है। बोस्टन यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता कायना हैमिल के अनुसार, 1857 में रिलीज होने के कई दशकों बाद यह धीरे-धीरे क्रिसमस का अभिन्न हिस्सा बना।
अंतरिक्ष में गूंजने वाली पहली धुन
आप शायद ही यह जानते होंगे कि 'जिंगल बेल्स' के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड भी दर्ज है। यह अंतरिक्ष से बजने वाला दुनिया का पहला गाना था। क्रिसमस से कुछ दिन पहले 'जेमिनी 6' के अंतरिक्ष यात्रियों ने कंट्रोल रूम को सूचना दी कि उन्हें उत्तर से दक्षिण की ओर जाता कोई 'अज्ञात उपग्रह' दिख रहा है।
इस तनावपूर्ण माहौल के बीच अचानक उन्होंने हारमोनिका और छोटी घंटियों पर 'जिंगल बेल्स' बजाना शुरू कर दिया। आज भी ये घंटियां और हारमोनिका स्मिथसोनियन नेशनल एयर और स्पेस म्यूजियम में सुरक्षित रखे हुए हैं।
नाम का दिलचस्प इतिहास
क्या आप जानते हैं कि शुरुआत में इस गाने का नाम 'जिंगल बेल्स' नहीं था? जी हां, आपने सही सुना 1857 में जब यह गाना पहली बार पब्लिश हुआ था, तो इसका शीर्षक "वन हॉर्स ओपन स्लेह" (One Horse Open Sleigh) रखा गया था। बाद में दो साल बाद यानी 1859 में जब इसे दोबारा रिलीज किया गया, तब इसे वह नाम मिला जिसे आज पूरी दुनिया जानती है।

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