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    23 नवंबर को हर साल मनाया जाता है National Cashew Day, दिलचस्प है इसका इतिहास और महत्व

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 12:21 PM (IST)

    क्या आप जानते हैं कि आपका पसंदीदा स्नैक, काजू इतना खास क्यों है? बता दें, हर साल 23 नवंबर को राष्ट्रीय काजू दिवस (National Cashew Day) मनाया जाता है। यह दिन इस स्वादिष्ट और पौष्टिक 'नट' के इतिहास, गुणों और दुनिया भर के व्यंजनों में इसके महत्व को याद करने का मौका देता है। आइए, विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

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    क्यों मनाया जाता है National Cashew Day? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटे से किडनी के आकार का बीज दुनिया भर के व्यंजनों का इतना जरूरी हिस्सा कैसे बन गया? वह बीज, जिसका मलाईदार टेक्सचर और हल्का मीठा स्वाद किसी भी डिश को शाही बना देता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं काजू की।

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    हर साल 23 नवंबर को, हम राष्ट्रीय काजू दिवस (National Cashew Day) मनाते हैं। असल में, यह सिर्फ एक दिन नहीं है, बल्कि एक मौका है इस सुपर-सीड के रोमांचक इतिहास, इसके शानदार हेल्थ बेनिफिट्स और ब्राजील के जंगलों से लेकर आपकी रसोई तक के इसके हैरतअंगेज सफर को जानने का।

    National Cashew Day

    अमेजन से पूरी दुनिया तक पहुंचा काजू

    काजू का नाम पुर्तगाली शब्द काजू (caju) से लिया गया है, जिसकी जड़ें टुपियन भाषा के शब्द अकाजू (acajú) में मिलती है। काजू की शुरुआत ब्राजील के अमेजन वर्षावनों से होती है, जहां यह पेड़ स्वाभाविक रूप से उगता है। बाद में पुर्तगाली खोजकर्ताओं ने इसे एशिया और अफ्रीका जैसे हिस्सों में फैलाया।

    आज ब्राजील, वियतनाम, भारत और कई अफ्रीकी देश काजू के बड़े उत्पादक हैं। बता दें यह सिर्फ एक स्नैक नहीं, बल्कि कैश्यू बटर, कैश्यू चीज, कैश्यू ऑयल और यहां तक कि दवा बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि माया सभ्यता में इसके पत्तों और छाल से हर्बल चाय बनाई जाती थी।

    Cashew Day

    इतिहास और महत्व

    नेशनल काजू डे की शुरुआत लोगों के इस पसंदीदा ड्राई फ्रूट के प्रति प्रेम और सम्मान से हुई। काजू सदियों से एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन व्यंजनों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

    1558 में जब यूरोपीय लोगों ने पहली बार ब्राजील में काजू देखा, तो उन्होंने इसे खाने योग्य नहीं माना क्योंकि इसके बाहरी खोल में अनाकार्डिक एसिड होता है, जो त्वचा में जलन पैदा करता है, लेकिन धीरे-धीरे पुर्तगालियों ने स्थानीय टुपी जनजाति से सीखा कि बीज को भूनने पर यह सुरक्षित और बेहद स्वादिष्ट हो जाता है। बता दें, इसके बाद उन्होंने काजू के फल से वाइन भी बनाई।

    1560 में जब पुर्तगाली मिशनरियों ने काजू को भारत के गोवा में लाया, तब से यह एशिया और अफ्रीका में तेजी से लोकप्रिय हुआ। 1905 में अमेरिका में इसकी एंट्री ने काजू की वैश्विक मांग को और बढ़ा दिया। आज काजू कई पारंपरिक व्यंजनों का अहम हिस्सा है- क्रीम बेस, मिठाइयां, ग्रेवी या स्नैक्स, हर जगह काजू अपनी खास छाप छोड़ता है। नेशनल काजू डे हमें इसी पाक विरासत को याद करने और इस स्वादिष्ट सुपरफूड का आनंद लेने का मौका देता है।

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