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    हजारों साल पुराना है Pancake का इतिहास, खाते तो आप भी होंगे; मगर नहीं मालूम होगा इसका दिलचस्प सफर

    बटर हनी और चॉकलेट सिरप के साथ खाए जाने वाले पैनकेक हर किसी का मन मोह लेते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्वादिष्ट डिश आखिर आई कहां से? बता दें पैनकेक की कहानी (History of Pancakes) हमें प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक रसोई तक ले जाती है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Wed, 20 Aug 2025 01:03 PM (IST)
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    History of Pancakes: दिलचस्प है पैनकेक का इतिहास (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। History of Pancakes: क्या आप जानते हैं कि हमारे पूर्वज भी पैनकेक जैसी डिशेज खाते थे? यह पढ़कर अजीब लग सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों की खोज इस बात की गवाही देती है! लगभग 30,000 साल पुराने औजारों पर मिले स्टार्च के कण बताते हैं कि पत्थर युग के लोग पौधों की जड़ों और बीजों से आटा बनाकर उसे पानी में मिलाते थे और गर्म पत्थर पर सेंक लेते थे। भले ही वह आज के मुलायम पैनकेक जैसा न हो, लेकिन यह शुरुआती रूप जरूर था।

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    पैनकेक की अनोखी कहानी

    पैनकेक का इतिहास बहुत पुराना है। हजारों साल पहले लोग अनाज और पानी को मिलाकर साधारण आटे की गोलियां बनाते और आग पर सेंकते थे। उस समय इनमें न दूध, न अंडा और न ही चीनी होती थी। इन शुरुआती पैनकेक को स्वाद देने के लिए यूनान और रोम के लोग शहद और ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करते थे।

    इंग्लैंड में एलिजाबेथ काल के दौरान इसमें मसाले, गुलाबजल, सेब और शराब डालकर इसे खास बनाया जाता था। यूरोप में "पैनकेक डे" पर पैनकेक खूब खाए जाते थे। इस दिन लोग उपवास से पहले दूध, अंडे और मक्खन जैसी चीजों का भरपूर इस्तेमाल करते थे।

    अमेरिका में शुरुआती दिनों में इसे "हो केक" या "जॉनी केक" कहा जाता था, जो मक्का या कुट्टू के आटे से बनाए जाते थे। अमेरिका की पहली कुकबुक अमेरिकन कुकरी (1796) में पैनकेक की दो अलग-अलग रेसिपी दर्ज हैं। यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन भी पैनकेक के शौकीन थे और उन्होंने फ्रांस से इसकी एक खास रेसिपी घर भेजी थी।

    मध्यकाल से आधुनिक काल तक का सफर

    समय बीतने के साथ पैनकेक का स्वाद और रूप दोनों बदलते गए। मध्ययुग में जब इसमें दूध, अंडा और मक्खन का इस्तेमाल होने लगा, तो यह और ज्यादा सॉफ्ट और टेस्टी बन गया। उस समय लोग इसमें मसाले, फल और जड़ी-बूटियां भी डालने लगे।

    15वीं सदी तक आते-आते इंग्लैंड और यूरोप के कई हिस्सों में पैनकेक आम खाने का हिस्सा बन चुका था। अलग-अलग देशों में इसे अलग नाम मिले, कहीं इसे फ्लैपजैक कहा गया, तो कहीं ग्रिडल केक या जॉनीकेक। लोग इसे सिर्फ नाश्ते में ही नहीं बल्कि दोपहर और रात के खाने में भी पसंद करने लगे।

    अमेरिका में पैनकेक की परंपरा

    अमेरिका में पैनकेक ने नाश्ते का अहम हिस्सा बनने की पहचान बनाई। इतना ही नहीं, अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन तक ने व्हाइट हाउस से अपने शहर में एक खास पैनकेक रेसिपी पहुंचाई। यह दिखाता है कि पैनकेक केवल भोजन नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा बन चुका था।

    दुनिया भर में पैनकेक की किस्में

    आज पैनकेक की दुनिया बहुत रंगीन हो चुकी है। हर देश ने इसे अपनी संस्कृति और स्वाद के हिसाब से ढाल लिया है। कहीं इसे मीठा बनाया जाता है, तो कहीं नमकीन। कहीं मोटा और नरम, तो कहीं पतला और कुरकुरा। यही वजह है कि पैनकेक न केवल नाश्ते का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि दुनिया की विविधता और खानपान की परंपरा को भी दर्शाते हैं।

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