वर्कआउट के दौरान युवाओं में बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले, ये 4 टेस्ट बता देंगे आपके दिल का हाल
आजकल युवाओं में हार्ट अटैक के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं खासकर वर्कआउट करते या खेलते वक्त। ऐसे में जरूरी है कि वर्कआउट या किसी भी स्पोर्ट एक्टिविटी से पहले आप कुछ टेस्ट (Tests for Heart) करवाएं ताकि हार्ट अटैक का रिस्क पता लगाने में मदद मिल सकती है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाल के कुछ समय में युवाओं में वर्कआउट के दौरान हार्ट अटैक (Heart Attack) और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले यह समस्या मुख्य रूप से उम्रदराज लोगों में देखी जाती थी, लेकिन आजकल 30-40 साल के युवाओं में भी अचानक हार्ट अटैक आने के मामले देखने को मिल रहे हैं।
हैरान करने वाली बात यह है कि ये सभी देखने में बिल्कुल फिट थे और एक्टिव भी। फिर भी वर्कआउट के दौरान या किसी स्पोर्ट एक्टिविटी के दौरान हार्ट अटैक आने के मामले सुनने को मिल रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि आप कुछ जरूरी टेस्ट (Test to Reduce the Risk of Heart Attack) करवाकर अपनी दिल की सेहत का पता लगा सकते हैं, जो हार्ट अटैक का रिस्क कम करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। आइए जानें कौन-से हैं वो टेस्ट।
क्यों बढ़ रहे हैं युवाओं में हार्ट अटैक के मामले?
वर्कआउट के दौरान हार्ट अटैक आने के कई कारण हो सकते हैं-
- हाई ब्लड प्रेशर- अचानक तेज एक्सरसाइज से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे हार्ट पर दबाव पड़ता है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल- आर्टरीज में ब्लॉकेज होने से हार्ट तक खून फ्लो रुक सकता है।
- मोटापा और डायबिटीज- इनसे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
- अनियमित दिल की धड़कन- कुछ लोगों को पहले से ही दिल से जुड़ी समस्याएं होती हैं, जो वर्कआउट के दौरान गंभीर हो सकती हैं।
इन समस्याओं से बचने के लिए या इनका समय पर पता लगाने के लिए नियमित रूप से कुछ टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है।
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दिल की सेहत जानने के लिए 4 जरूरी टेस्ट
ब्लड प्रेशर टेस्ट
ब्लड प्रेशर दिल की बीमारियों का एक बड़ा कारण है। हाई ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाता है।
कितनी बार करवाएं?
- अगर आपका बीपी 120/80 mmHg से कम है, तो साल में एक बार चेक करवाएं। लेकिन अगर आपको हाई बीपी है या हार्ट डिजीज का खतरा है, तो नियमित रूप से बीपी की मॉनिटरिंग जरूरी है।
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट (फास्टिंग लिपिड प्रोफाइल)
कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना आर्टरीज में प्लाक जमा कर देता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
कितनी बार करवाएं?
- सामान्य वयस्कों को हर 4-6 साल में एक बार टेस्ट करवाना चाहिए। लेकिन अगर आपको हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज या दिल की बीमारियों का खतरा है, तो साल में एक बार जरूर चेक करवाएं।
ब्लड ग्लूकोज टेस्ट
डायबिटीज दिल की बीमारियों के अहम कारणों में से एक है। ब्लड शुगर लेवल की जांच से आप डायबिटीज और प्रीडायबिटीज का पता लगा सकते हैं, जो हार्ट हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है।
कितनी बार करवाएं?
- अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, 45 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को यह टेस्ट करवाना चाहिए। अगर आपका शुगर लेवल नॉर्मल है, तो भी हर 3 साल के अंतराल पर टेस्ट करवाते रहें और अगर आपका शुगर लेवल ज्यादा है, तो नियमित ब्लड शुगर टेस्ट जरूरी है।
वजन और बीएमआई चेक
मोटापा दिल की बीमारियों, डायबिटीज और हाई बीपी का अहम कारण है। बॉडी मास इंडेक्स, वजन और वेस्ट साइज मापकर आप अपने दिल के स्वास्थ्य का अंदाजा लगा सकते हैं।
कितनी बार करवाएं?
- हेल्थ चेकअप के दौरान नियमित रूप से BMI चेक करवाएं।
- अगर आपका BMI 25 से ज्यादा है, तो वेस्ट साइज मापना भी जरूरी है, क्योंकि पेट की चर्बी दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ाती है।
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Source:
American Heart Association: https://www.heart.org/en/health-topics/consumer-healthcare/what-is-cardiovascular-disease/heart-health-screenings
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