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    जरूर जान लें डायबिटीज से जुड़े 5 खतरनाक मिथक, शुगर कंट्रोल करने में होगी आसानी

    By Niharika PandeyEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Mon, 27 Oct 2025 07:00 AM (IST)

    डायबिटीज के ज्यादातर प्रकार क्रॉनिक होते हैं और इन्हें दवाओं व लाइफस्टाइल में बदलावों के साथ मैनेज किया जा सकता है। हालांकि, इससे जुड़ी कुछ भ्रांतियां भी हैं कि डायबिटीज ज्यादा शक्कर खा लेने से होता है, मोटे लोगों को ही होता है या इसके होने का मतलब है सबकुछ खत्म हो जाना है। जबकि सच्चाई कुछ और ही है।

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    डायबिटीज के 5 मिथक: क्या आप भी हैं शिकार? (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा काफी बढ़ जाती है तो डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। यह तब होता है जब पेनक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर आपका शरीर इंसुलिन के प्रभाव को लेकर प्रतिक्रिया नहीं दे पाता है। लेकिन इसके बावजूद लोगों में डायबिटीज होने को लेकर काफी सारी भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करके ही सही इलाज की तरफ बढ़ा जा सकता है।

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    शक्कर खाने से होती है डायबिटीज

    भले ही शुगर को लोग अपना दुश्मन मानते हों, लेकिन डायबिटीज होने का यह प्रमुख कारण नहीं है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज होने के कारण बिल्कुल ही अलग होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज जहां ऑटोइम्युन डिजीज है वहीं टाइप 2 डायबिटीज के पीछे कई कारण काम करते हैं। शक्कर अकेले टाइप 2 डायबिटीज का कारण नहीं, एक्स्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में इस्तेमाल होने वाले एडेड शुगर, फैट और रिफाइंड शुगर का संबंध इंसुलिन रेजिस्टेंस से है।

    डायबिटिक लोग कार्बोहाइड्रेट नहीं ले सकते

    सही गाइडेंस के साथ डायबिटीज मरीज भी कार्बोहाइड्रेट ले सकते हैं। फाइबर से भरपूर कार्बोहाइड्रेट जैसे फलियां, साबुत अनाज, फल और सब्जियां बेहतर विकल्प हो सकते हैं। ये धीरे-धीरे पचते हैं और ग्लाइसेमिक कंट्रोल बना रहता है। साथ ही जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स भी मिलते हैं, जोकि डायबिटीज के नियंत्रण के लिए जरूरी होते हैं।

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    इंसुलिन लेने का मतलब है सबकुछ खत्म

     कुछ लोग लाइफस्टाइल में बदलाव करने के साथ टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज कर सकते हैं, लेकिन हर किसी के लिए ऐसा करना संभव नहीं। इंसुलिन लेने का मतलब ये नहीं कि जिंदगी खत्म हो गई, बल्कि यह जीवनरक्षक टूल की तरह है जोकि ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित रखता है और यह अंत की निशानी बिलकुल नहीं है। टाइप 1 डायबिटीज में तो जीवन बचाने के लिए इंसुलिन सबसे अहम है। इंसुलिन लेने का मतलब है अपने शरीर को वो देना जिसकी उसे जरूरत है।

    सामान्य BMI वालों को डायबिटीज नहीं होता

    यह बहुत बड़ी गलफहमी है, क्योंकि बीएमआई मसल्स और फैट के बीच अंतर नहीं कर पाता। ना ही यह जेनेटिक्स, पर्यावरण, उम्र या तनाव की गणना कर सकता है। कई बार बीएमआई के आधार पर मोटे करार दिए गए लोग हेल्दी हो सकते हैं। वहीं सामान्य बीएमआई वालों को भी सेहत से जुड़े खतरे हो सकते हैं। रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि बीएमआई से ज्यादा पेट के आस-पास जमा चर्बी डायबिटीज होने का सबसे बड़ा खतरा हो सकती है।

    डायबिटीज रिवर्स हो सकता है

    अभी फिलहाल डायबिटीज का कोई इलाज नहीं, लेकिन इस दिशा में काम किया जा रहा है। वैसे दवाओं की मदद से ब्लड शुगर के लेवल को अच्छी तरह मैनेज किया जा सकता है। यदि वजन को सही रखा जाए और समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो टाइप 2 डायबिटीज को दूर किया जा सकता है, लेकिन यह ठोस इलाज नहीं है। इसके लिए लगातार लाइफस्टाइल में बदलाव, डॉक्टरों से फॉलो-अप और परिवार के सपोर्ट की जरूरत होती है।