प्रदूषण के बीच ऐसे करें बच्चों और बुजुर्गों की हिफाजत, आपके काम आएंगे 5 टिप्स
दिल्ली-NCR हो या कोई भी बड़ा शहर, दीवाली के बाद के कुछ दिन बच्चों और बुजुर्गों के लिए काफी चैलेंजिंग होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है और वे प्रदूषण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। अगर आप अपनों को इस खतरनाक हवा से बचाना चाहते हैं, तो सिर्फ मास्क काफी नहीं है। यहां बताई 5 बातों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है।

प्रदूषण से करनी है बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा, तो काम आएंगे 5 टिप्स (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब आसमान में स्मॉग की चादर बिछ जाती है, तो हमारे घर के बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं। जी हां, इन दोनों को प्रदूषण के कहर से बचाना किसी जंग से कम नहीं। इस आर्टिकल में आप जानेंगे 5 ऐसे अचूक तरीके जो आपके घर के इन सबसे खास सदस्यों को इस जानलेवा हवा से बचाएंगे। आइए जानते हैं।
घर के अंदर की हवा करें साफ
प्रदूषण का स्तर जब बहुत ज्यादा हो, तो बच्चों को सुबह-शाम बाहर खेलने या बुजुर्गों को वॉक पर जाने से बिल्कुल रोक दें। बाहर की हवा में मौजूद PM 2.5 कण फेफड़ों को सीधा नुकसान पहुंचाते हैं। इसके बजाय, घर के अंदर की हवा को शुद्ध करने पर ध्यान दें। अगर बजट है, तो घर के मुख्य कमरों में एयर प्यूरीफायर लगाएं। इसके अलावा, स्नेक प्लांट या पीस लिली जैसे कुछ इंडोर प्लांट हवा को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने में मदद करते हैं। साथ ही, घर के अंदर धूम्रपान न करें, क्योंकि ये भी हवा को प्रदूषित करता है।
N95 मास्क का इस्तेमाल
साधारण कपड़े का मास्क प्रदूषण के महीन कणों को नहीं रोक पाता। इसलिए, बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकालते समय अच्छी क्वालिटी का N95 या FFP2 मास्क ही पहनाएं। सुनिश्चित करें कि मास्क उनकी नाक और मुंह को पूरी तरह से ढके। मास्क पहनने के बाद हवा कहीं से बाहर या अंदर नहीं जानी चाहिए। यह भी जरूरी है कि आप बच्चों को मास्क की अहमियत समझाएं, ताकि वे उसे बार-बार न उतारें। सही मास्क का उपयोग करके आप जहरीले कणों को फेफड़ों तक जाने से रोक सकते हैं।
इम्युनिटी बूस्टर सुपरफूड
प्रदूषण से लड़ने के लिए शरीर को अंदर से मजबूत बनाना जरूरी है। खासकर बच्चों और बुज़ुर्गों की डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। आंवला, संतरा और नींबू जैसे विटामिन-C से भरपूर खट्टे फल और सब्जियां जरूर खिलाएं। रोजाना हल्दी वाला दूध और खाने के बाद थोड़ा-सा गुड़ जरूर दें, क्योंकि गुड़ फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है। इसके अलावा, उन्हें दिनभर में खूब पानी, नींबू पानी या हर्बल चाय पीने के लिए मोटिवेट करें, क्योंकि पानी शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने में मदद करता है।
स्टीमिंग और गरारे
प्रदूषित हवा के कण गले और श्वसन मार्ग में जमा हो जाते हैं। उन्हें बाहर निकालने के लिए भाप लेना और गरारे करना सबसे आसान और प्रभावी तरीका है। दिन में दो बार गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक डालकर गरारे कराएं, जिससे गले की सूजन कम होती है। साथ ही, रात को सोने से पहले सादे गर्म पानी की भाप 5-10 मिनट तक लेने को कहें। इससे फेफड़ों में जमा कफ ढीला होकर बाहर निकल जाता है और सांस लेना आसान हो जाता है।
दवाई और डॉक्टर से संपर्क में रहें
अगर घर में कोई अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या दिल की बीमारी से पीड़ित है, तो प्रदूषण के बीच उनकी दवाओं को लेकर विशेष ध्यान दें। सुनिश्चित करें कि उनकी सभी दवाएं और इन्हेलर हमेशा उनके पास हों और समय पर दिए जाएं। अगर खांसी, सांस लेने में तकलीफ, या लगातार आंखों में जलन जैसे लक्षण दिखें, तो देरी न करें। इन लक्षणों को प्रदूषण के सामान्य लक्षण मानकर नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। नियमित चेकअप और सही दवाएं प्रदूषण के गंभीर प्रभावों से बचा सकती हैं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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