40 साल के बाद बढ़ जाता है स्ट्रोक का खतरा, इन तरीकों से करें अपने ब्रेन की देखभाल
40 वर्ष की आयु के बाद, व्यक्तियों को अक्सर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है और मस्तिष्क कमजोर होने लगता है। नियमित व्यायाम, सही खानपान, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन से मस्तिष्क को स्वस्थ रखा जा सकता है। संज्ञानात्मक हानि के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और वेस्कुलर स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है। जीवनशैली में बदलाव करके मस्तिष्क को स्वस्थ रखा जा सकता है।

40 के बाद दिमाग को रखें स्वस्थ: स्ट्रोक से बचने के उपाय (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। 40 साल की उम्र के बाद व्यक्ति अक्सर कई तरह की हेल्थ कंडीशन जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉइड, कोरोनरी आर्टरी डिजीज का शिकार होने लगता है। यह सभी समस्याएं लाइफस्टाइल से जुड़े फैक्टर या जेनेटिक कारणों से होती हैं। इसके साथ-साथ 40 की उम्र के बाद दिमाग भी कमजोर होने लगता है, जो आगे चलकर कई सारी दिमाग से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।
हालांकि, एक्सपर्ट की मानें तो दिमाग का बूढ़ा होना कोई बीमारी नहीं है, यह एक प्रक्रिया है। फिर भी, यह प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है, यह अनगिनत फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जिनमें से कई हमारे कंट्रोल में होते हैं। कंट्रोल किए जाने वाले इन कारकों में लाइफस्टाइल से जुड़े फैक्टर्स शामिल हैं। आइए मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में पार्किंसंस डिजीज यूनिट, न्यूरोसाइंसेस के डायरेक्टर और हेड डॉ. मुकेश कुमार से जानते हैं 40 की उम्र के बाद कैसे रखें अपने ब्रेन का ख्याल-
फिजिकल एक्टिविटी
रेगुलर एक्सरसाइज आपके ब्रेन को लंबे समय तक हेल्दी बनाती है। न्यूरोलॉजी में साल 2020 के एक मेटा-विश्लेषण से पता चला है कि हर हफ्ते 150 मिनट की मीडियम एक्टिविटी करने वाले वयस्कों में कॉग्नेटिव डेकलाइन का खतरा 30% कम होता है। साथ ही इससे ब्रेन की फंक्शनिं और इंसुलिन सेंसिटिविटी में भी सुधार होता है।
न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह: हर हफ्ते 150 मिनट की मीडियम एरोबिक एक्टिविटी जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना, स्वीमिंग करने का टारगेट रखें। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के लिए 2-3 सेशन हर हफ्ते शामिल करें। इसके अलावा योग जैसे संतुलन और लचीलेपन वाले व्यायाम को शामिल करें।
खानपान का रखें ध्यान
ब्रेन शरीर की कुल एनर्जी का लगभग 20% कन्ज्यूम करता है। हम जो खाते हैं, उसका सीधा असर नर्व फंक्शन, न्यूरोट्रांसमीटर सिंथसिस और सूजन पर पड़ता है। इसलिए ब्रेन को हेल्दी रखने के लिए खानपान का ध्यान जरूर रखें। अपनी डाइट में निम्न पोषक तत्व जरूर शामिल करें-
- ओमेगा-3 फैटी एसिड (DHA, EPA): मेंब्रेन फ्लूइडिटी और सिनैप्टिक फंक्शन के लिए जरूरी।
- पॉलीफेनॉल्स: बेरीज, कोको और ग्रीन टी में पाए जाते हैं- एंटीऑक्सीडेंट और सूजनरोधी।
- बी विटामिन: विशेष रूप से बी6, बी12 और फोलेट, जो होमोसिस्टीन के लेवल को कम करते हैं और माइलिन की सेहत को बेहतर बनाते हैं।
- विटामिन डी: न्यूरोइम्यून फंक्शन और कॉग्नेटिव फंक्शन को नियंत्रित करता है।
पूरी और अच्छी नींद लें
40 साल की उम्र के बाद, नींद अक्सर हल्की और छोटी हो जाती है। हालांकि, गहरी और अच्छी नींद के दौरान, ग्लाइम्फैटिक सिस्टम बीटा-एमिलॉइड और टाउ प्रोटीन जैसे मेटाबॉलिक वेस्ट को साफ करता है। ऐसे में लगातार नींद की कमी इस वेस्ट प्रोडक्ट के स्टोरेज को तेज कर देती है, जो नर्व डैमेज के लक्षण हैं।
न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह: रात में 7-8 घंटे की नींद लें, नियमित नींद-जागने का रूटीन बनाए रखें, दोपहर के बाद कैफीन इनटेक कम करें और सोने से पहले स्क्रीन के संपर्क में न आएं।
स्ट्रेस मैनेज करें
माइंडफुलनेस मेडिटेशन, गहरी सांस लेना और प्रकृति के संपर्क में रहना, सिंपथेटिक ओवररिएक्शन को कम करते हैं और प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स जैसे तनाव-नियंत्रित हिस्सों में कॉर्टिकल मोटाई में सुधार करते हैं।
वेस्कुलर ब्रेन कनेक्शन
वेस्कुलर हेल्थ ही ब्रेन हेल्थ है। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या हाइपरलिपिडिमिया के कारण होने वाली स्मॉल वेसल डिजीज साइलेंट स्ट्रोक का कारण बनता है, जो धीरे-धीरे कॉग्निशन को खत्म कर देते हैं।
कॉग्नेटिव लॉस के शुरुआती लक्षण
इसके शुरुआती चेतावनी संकेतों में निम्न शामिल हैं-
- बार-बार किसी सामान को खोना
- फाइनेंशियल मैनेजमेंट या कॉम्प्लेक्स बातचीत को समझने में कठिनाई
- सामान्य बोलचाल के शब्दों को खोजने में समस्याएं
- शौक या सामाजिक मेलजोल से दूरी
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