दिल्ली-एनसीआर के 75% घरों में दिख रहे कोविड-फ्लू जैसे लक्षण, डॉक्टर ने बताया कैसे करें अपना बचाव
जैसे ही मौसम में बदलाव आता है और कई शहरों में प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ जाता है। इन दिनों अस्पतालों में मरीजों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। दरअसल, बदलते तापमान, मौसमी वायरस और हवा की खराब गुणवत्ता- ये तीनों मिलकर लोगों की सेहत पर 'ट्रिपल अटैक' कर रहे हैं। इसका सबसे बुरा असर बच्चों, बुजुर्गों, और फेफड़ों या दिल की पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर पड़ रहा है।

बदलते मौसम और बढ़ते प्रदूषण का असर! खांसी, थकान और सांस की तकलीफ से जूझ रहे लोग (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है और हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे लोगों की सेहत पर इसका असर साफ दिखने लगा है। राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों के अस्पतालों में इन दिनों खांसी, जुकाम, बुखार और सांस से जुड़ी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, द्वारका के डॉ. मनीष गर्ग के मुताबिक, मौसम का बदलाव, हवा में मिल रहे हानिकारक कण और वायरल इन्फेक्शन- इन तीनों का एक साथ असर लोगों को बीमार कर रहा है।

सबसे ज्यादा दिख रहे हैं ये लक्षण
इन दिनों मरीजों में सबसे आम लक्षण हैं- लगातार खांसी, गले में खराश, नाक बंद रहना, हल्का बुखार, शरीर में दर्द, थकान और सांस लेने में दिक्कत। बहुत से लोग इसे सामान्य सर्दी-जुकाम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन डॉक्टर बता रहे हैं कि यह लक्षण अब पहले की तरह दो-तीन दिन में खत्म नहीं हो रहे, बल्कि 10 से 14 दिन तक बने रहते हैं। खासकर दमा (Asthma), सीओपीडी (COPD) या स्मोकिंग की आदत वाले लोगों में खांसी रात या सुबह के समय बढ़ जाती है, और कभी-कभी घरघराहट या सीने में जकड़न भी महसूस होती है।
वायरल और प्रदूषण, दोनों का दोहरा असर
इस समय फ्लू, राइनोवायरस और अन्य श्वसन संक्रमण वाले वायरस काफी सक्रिय हैं। इनके कारण बुखार, गले में दर्द, बदन दर्द और तेज थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। सामान्य तौर पर ये संक्रमण हल्के होते हैं, लेकिन जब इन्हें प्रदूषण की हवा मिल जाती है, तो बीमारी ज्यादा परेशान करने लगती है और ठीक होने में लंबा समय लगता है। कई मरीज भूख कम लगने, नींद न आने या बाहर की हवा में निकलते ही सांस फूलने की शिकायत कर रहे हैं।
वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें बुखार नहीं होता, लेकिन सूखी खांसी, गले में जलन, आंखों में पानी या सिरदर्द जैसी दिक्कतें होती हैं। यह प्रदूषण से होने वाली एलर्जी का संकेत है। हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे महीन कण श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं और सूजन पैदा करते हैं, जिससे वायरल जैसे लक्षण नजर आते हैं।
इलाज में हो रही है उलझन
डॉक्टरों का कहना है कि इस समय बड़ी चुनौती यह है कि वायरल और प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लक्षण बहुत हद तक एक जैसे हैं। कई बार मरीज को शुरुआत में वायरल संक्रमण होता है, लेकिन जब बुखार चला जाता है, तो खांसी और गले की तकलीफ प्रदूषण के कारण बनी रहती है। ऐसे में कई लोग खुद से एंटीबायोटिक दवाएं लेना शुरू कर देते हैं, जबकि यह बिल्कुल गलत है। अगर संक्रमण वायरल है, तो एंटीबायोटिक असर नहीं करती और शरीर पर उल्टा बोझ डाल देती है।
सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा
डॉक्टरों की सलाह है कि इस समय कुछ सरल आदतें अपनाकर हम अपने फेफड़ों की सेहत की रक्षा कर सकते हैं-
- बाहर निकलते समय अच्छी क्वालिटी का N95 मास्क पहनें।
- घर में एयर प्यूरीफायर या पौधों की मदद से हवा साफ रखें।
- पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल सकें।
- सुबह या देर शाम टहलने से बचें, जब हवा में प्रदूषण सबसे ज़्यादा होता है।
- जिन लोगों को पहले से दमा या सांस की समस्या है, वे अपनी नियमित दवाएं समय पर लें।
अगर किसी को लगातार सांस लेने में परेशानी, तेज बुखार या बढ़ती खांसी की शिकायत हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कुल मिलाकर, इस मौसम में लोगों की तकलीफें दोहरी हो गई हैं- एक ओर वायरल संक्रमण, और दूसरी ओर प्रदूषित हवा। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें, खुद डॉक्टर बनने से बचें, और रोकथाम को प्राथमिकता दें। थोड़ी सावधानी और सही समय पर ट्रीटमेंट आपको बड़ी समस्याओं से बचा सकता है।
- डॉ. मनीष गर्ग (एसोसिएट डायरेक्टर और यूनिट हेड, पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, द्वारका) से बातचीत पर आधारित
यह भी पढ़ें- 10 हजार स्टेप्स नहीं! एक्सपर्ट्स ने बताया अच्छी सेहत के लिए असल में कितनी Walk है काफी
यह भी पढ़ें- Delhi NCR में जहरीली हवा के बीच चलानी है कार, इन बातों का ध्यान रखें बिना न करें सफर

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।