खराब AQI बना रहा आपको बीमार, डॉक्टर ने बताया किन समस्याओं का कारण बनती है जहरीली हवा
दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया है। डॉक्टर शिवांशु राज गोयल के अनुसार, खराब एक्यूआई से अस्थमा अटैक, ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी और फेफड़ों में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से रेस्पिरेटरी सिस्टम कमजोर हो सकता है और हृदय संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। स्वस्थ व्यक्तियों को भी खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

दिल्ली में जहरीली हवा: स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में दीवाली के बाद से ही हवा का स्तर लगातार खराब होता जा रहा है। दिल्ली और यहां के आसपास के इलाकों की हवा जहरीली होती जा रही है, जिससे सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। हवा में घुले प्रदूषण की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं लोगों के लिए परेशानी की वजह बन रही है।
ऐसे में जरूरी है इस समस्याओं के बारे में जानना और साथ ही यह भी जानना कि इन समस्याओं से कैसे अपना बचाव कर सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने मैक्स हॉस्पिटल, गुरुग्राम में एसोसिएट डायरेक्टर और यूनिट हेड, पल्मोनोलॉजी, रेस्पिरेटरी और स्लीप मेडिसिन डॉ. शिवांशु राज गोयल से बातचीत की। आइए जानते हैं लगातार खराब होती दिल्ली-एनसीआर की हवा आपको किन समस्याओं का शिकार बना सकती है।
डॉक्टर ने बताया कि दिवाली के बाद बिगड़ा हुआ एक्यूआई हम सभी को प्रभावित करता है, लेकिन खासतौर पर यह कुछ लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है और इससे सेहत पर लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों प्रभाव होते हैं। इससे होने वाली कुछ शॉर्ट टर्म समस्याओं में निम्न शामिल हैं-
खराब हवा से होने वाली शॉर्ट टर्म समस्याएं
- अस्थमा अटैक: प्रदूषण की वजह से श्वसनी-आवेग (bronchospasms) ट्रिगर होता है, जिससे वायुमार्ग यानी एयरवेज संकरे हो जाते हैं और गंभीर खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ होती है। इस दौरान कई मरीजों को अपनी सामान्य दवाएं भी कम असरदार लगती हैं।
- बिगड़ा हुआ ब्रोंकाइटिस: पॉल्युशन में मौजूद सूक्ष्म कणों और जहरीली गैसों के शरीर के अंदर जाने से श्वसन नलिकाओं में जलन होती है, जिससे बलगम का प्रोडक्शन बढ़ जाता है।
- बढ़ जाती है सीओपीडी की समस्या: खराब हवा की वजह से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित लोगों के लक्षण बिगड़ जाते हैं, जिसके लिए उन्हें हाई इंटेंसिटी वाले इलाज की जरूरत होती है और गंभीर मामलों में, फेफड़ों की फंक्शनिंग बेहद कम होने के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है।
- फेफड़ों में सूजन: पटाखों के धुएं से निकलने वाले सूक्ष्म कण (पीएम 2.5 और पीएम 10) फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं, जिससे सूजन हो सकती है और ऑक्सीजन का आदान-प्रदान कम हो सकता है।
- एक्यूट रेस्पिरेटरी समस्याएं: हवा स्तर कम होने की वजह से गले में जलन, सीने में जकड़न, चक्कर आना, थकान और लगातार खांसी सहित कई लक्षण आम हो जाते हैं।
प्रदूषण से जुड़ी लॉन्ग टर्म समस्याएं
- कमजोर इम्युनिटी: प्रदूषक रेस्पिरेटरी सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं, जिससे व्यक्ति निमोनिया जैसे वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है।
- रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियां: कुछ लोगों में, बार-बार प्रदूषण के संपर्क में आने से लॉन्ग टर्म बीमारियां हो सकती हैं। यहां तक कि उन लोगों में भी जिन्हें पहले कोई गंभीर समस्या नहीं थी।
- सेहत को गंभीर नुकसान: फेफड़ों को नुकसान के अलावा, खराब हवा में मौजूद छोटे-छोटे पार्टिकल्स ब्लड फ्ले में प्रवेश कर सकते हैं और शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं। बार-बार प्रदूषण के संपर्क में आने से हार्ट अटैक और अन्य दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
स्वस्थ व्यक्तियों को हो सकती हैं ये समस्याएं
बहुत कम एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की वजह से सिर्फ पहले बीमार लोग ही नहीं, हेल्दी लोग भी प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में लोगों की खराब हवा की वजह से निम्न समस्याएं हो सकती हैं-
- लगातार खांसी या घरघराहट
- सांस लेने में तकलीफ या सीने में जकड़न
- आंखों, नाक और गले में जलन
- सिरदर्द और थकान
- चक्कर आना या बेहोशी
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