गठिया के दर्द ने कर दिया है परेशान, तो डॉक्टर्स की बताई ये 7 टिप्स जरूर करें फॉलो
गठिया एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इसे मैनेज (Arthritis Management) जरूर किया जा सकता है। गठिया के दर्द से आराम दिलाने और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए ये बदलाव बेहद जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर्स ने कुछ स्मार्ट टिप्स शेयर किए, जो गठिया के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

गठिया के मरीजों को लिए जरूरी टिप्स (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गठिया एक ऐसी स्थिति है जो जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन पैदा करती है। यह एक क्रॉनिक डिजीज है, जिसका पूरी तरह इलाज संभव नहीं है। इसलिए गठिया के मरीजों के ताउम्र जोड़ों में दर्द और अकड़न की समस्या का सामना करना पड़ता है (Arthritis Symptoms), लेकिन सही देखभाल और लाइफस्टाइल में बदलाव के जरिए इसे मैनेज किया जा सकता है।
गठिया को मैनेज कैसे करें, इस बारे में जानने के लिए हमने डॉ. आमीन रजानी (ऑर्थोपेडिक सर्जन स्पेशलाइज्ड इन ऑर्थोस्कोपी, जॉइन्ट रिप्लेसमेंट एंड स्पोर्ट्स इंजरी) और डॉ. कुशल बैनर्जी (सीनियर होमियोपैथ, डॉ. कल्याण बनर्जी क्लीनिक) से बात की। अगर आप गठिया से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर से बताए इन टिप्स (Tips to Manage Arthritis) पर ध्यान देना जरूरी है। आइए जानें इस बारे में।
एक्टिव रहें, लेकिन समझदारी से
बहुत से लोग सोचते हैं कि गठिया में आराम ही एकमात्र उपाय है, लेकिन ऐसा नहीं है। नियमित, हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जोड़ों को फ्लेक्सिबल बनाए रखने, मांसपेशियों को मजबूत करने और दर्द को कम करने में मददगार साबित होता है।
- सही एक्सरसाइज चुनें- स्वीमिंग, पैदल चलना, साइकिल चलाना और योग जैसे कम इंपैक्ट वाली एक्सरसाइज बेहतरीन ऑप्शन हैं।
- एक्सरसाइज की इंटेंसिटी पर ध्यान दें- खासतौर से ऑस्टियोआर्थराइटिस में हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज नुकसानदायक हो सकता है। अगर एक्सरसाइज के बाद दर्द बढ़ता है, तो अपने रूटीन में बदलाव करें। मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज प्रभावित जोड़ों पर पड़ने वाले दबाव को कम करते हैं और घिसाव की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं।
वजन नियंत्रित करें
शरीर का वजन जितना ज्यादा होगा, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी जैसे वजन उठाने वाले जोड़ों पर उतना ही ज्यादा दबाव पड़ेगा। वजन कम करना गठिया को मैनेज करने के सबसे असरदार तरीकों में से एक है। मात्र 5-10% वजन कम करने से भी जोड़ों के दर्द और लक्षणों में काफी सुधार देखने को मिल सकता है।
बैलेंस्ड और एंटी-इन्फ्लेमेटरी डाइट लें
आप जो खाते हैं, उसका सीधा असर आपके शरीर की सूजन पर पड़ता है। ऐसी डाइट लें जो सूजन को कम करने में मदद करे।
- ताजे फल और सब्जियां- इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स सूजन से लड़ते हैं।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड- अलसी के बीज, अखरोट और फैटी फिश ओमेगा-3 के बेहतरीन सोर्स हैं।
- साबुत अनाज और दालें- ये फाइबर और पोषक तत्वों का अच्छा सोर्स हैं।
- परहेज- प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा शक्कर, नमक और अनहेल्दी फैट्स से बचें, क्योंकि ये सूजन को बढ़ा सकते हैं।
फिक्स रूटीन और पूरी नींद
अनियमित रूटीन और नींद की कमी शरीर में तनाव और सूजन को बढ़ावा देती है। खासतौर से रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों में फिक्स रूटीन और स्ट्रेस मैनेज करके फ्लेयर-अप के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
दवा और डॉक्टर से सलाह
गठिया के प्रकार और गंभीरता के हिसाब से दवाएं अलग-अलग होती हैं। डॉक्टर जो भी दवाएं बता रहे हैं, उन्हें नियमित और निर्धारित मात्रा में लेना बहुत जरूरी है। बिना डॉक्टर की सलाह के दवा बंद न करें या कोई नई दवा शुरू न करें। साथ ही, नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराते रहें।
जोड़ों की सुरक्षा और आराम
अपने जोड़ों को गैर-जरूरी दवाब डालने से बचें। ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करें जो रोज के कामों को आसान बनाएं। बैठने, खड़े होने और उठाने के दौरान सही पोस्चर अपनाएं। जब दर्द बहुत ज्यादा हो, तो जोड़ों को आराम दें, लेकिन लंबे समय तक पूरी तरह इनएक्टिव न रहें।
मेंटल हेल्थ का ख्याल रखें
क्रॉनिक पेन का मेंटल हेल्थ पर गहरा असर पड़ सकता है। स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन गठिया के लक्षणों को और बढ़ा सकते हैं। मेडिटेशन, डीप-ब्रीदिंग एक्सरसाइज, परिवार और दोस्तों से बातचीत या किसी हॉबी में समय बिताना तनाव कम करने में मदद कर सकता है। जरूरत पड़ने पर काउंसलर या साइकोलॉजिस्ट की मदद लेने में संकोच न करें।

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