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    प्रेग्नेंसी में High Blood Sugar बढ़ा सकता है दिल की बीमारियों का खतरा! नई स्टडी में हुआ खुलासा

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 08:30 AM (IST)

    प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड शुगर न सिर्फ मां के लिए बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। हाल के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ा हुआ शुगर लेवल जिसे जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) कहते हैं मां और बच्चे दोनों में भविष्य में Heart Diseases का खतरा बढ़ा सकता है।

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    महिलाओं में दिल के रोग का बढ़ रहा है खतरा, प्रेग्नेंसी से है सीधा जुड़ाव (Image Source: Freepik)

    आइएएनएस, नई दिल्ली। अक्सर हम मानते हैं कि हार्ट डिजीज केवल उम्र बढ़ने के बाद की समस्या है, लेकिन हाल ही में हुए शोध बताते हैं कि महिलाओं में यह खतरा जीवन के शुरुआती चरणों में ही बढ़ सकता है। खासकर वे महिलाएं, जिनका हृदय स्वास्थ्य गर्भावस्था से पहले सही नहीं होता, उन्हें भविष्य में गर्भकालीन मधुमेह और कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम (CAC) का अधिक खतरा रहता है।

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    क्या है कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम?

    कोरोनरी आर्टरी वे रक्त वाहिकाएं हैं जो हमारे दिल को रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। जब इनकी दीवारों में कैल्शियम जमने लगता है, तो इसे कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम कहा जाता है। यह जमाव आगे चलकर ब्लॉकेज और हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। इसलिए, सीएसी को हृदय रोग का एक शुरुआती चेतावनी संकेत माना जाता है।

    अध्ययन क्या कहता है?

    जामा कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में 1985 से 2010 के बीच एक हजार से अधिक महिलाओं के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया। इन प्रतिभागियों की औसत आयु लगभग 28 वर्ष थी और सभी ने कम से कम एक बार प्रसव किया था। महत्वपूर्ण बात यह रही कि गर्भावस्था से पहले इनमें से किसी को मधुमेह नहीं था।

    शोध के नतीजों ने दिखाया कि जिन महिलाओं का हृदय स्वास्थ्य गर्भावस्था से पहले खराब था, उन्हें गर्भकालीन मधुमेह होने और आगे चलकर सीएसी विकसित होने की संभावना अधिक थी। इसके विपरीत, बेहतर हार्ट हेल्थ वाली महिलाओं में यह खतरा अपेक्षाकृत कम पाया गया।

    विशेषज्ञों की राय

    अध्ययन की प्रमुख लेखिका नताली कैमरन का मानना है कि जीवन के शुरुआती चरण से ही हृदय की देखभाल करना ज़रूरी है। वे कहती हैं कि डॉक्टरों को गर्भवती महिलाओं का केवल वर्तमान स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उनका पूरा गर्भावस्था इतिहास, आहार की आदतें और शारीरिक गतिविधियां भी ध्यान में रखनी चाहिए। इससे डॉक्टर और मरीज मिलकर लंबे समय तक हृदय को स्वस्थ रखने की रणनीति बना सकते हैं।

    क्यों जरूरी है जागरूकता?

    यह अध्ययन एक और महत्वपूर्ण बात की ओर इशारा करता है- प्रसव के बाद की देखभाल। अक्सर महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं, लेकिन यदि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह या अन्य जटिलताएं रही हों, तो महिलाओं को नियमित जांच और प्राथमिक देखभाल की और भी अधिक जरूरत होती है।

    महिलाओं के लिए सुझाव

    • गर्भावस्था से पहले ही हेल्थ चेकअप करवाएं
    • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं
    • परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो तो डॉक्टर से जरूर चर्चा करें
    • प्रसव के बाद भी नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहें

    यह शोध इस तथ्य को और मजबूत करता है कि महिलाओं का हृदय स्वास्थ्य केवल उम्र या आनुवंशिक कारणों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि गर्भावस्था जैसी जीवन की अहम अवस्थाओं से भी जुड़ा होता है। इसलिए, जागरूक रहकर और सही जीवनशैली अपनाकर महिलाएं न केवल खुद को, बल्कि अपने पूरे परिवार को स्वस्थ भविष्य दे सकती हैं।

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