टॉयलेट में लगने वाला समय बताता है आपकी सेहत का हाल! जानें कितनी देर में फ्रेश होना है 'नॉर्मल'
हम सभी हर रोज शौच (Poop) के लिए जाते हैं, लेकिन हममें से बहुत कम लोग जानते हैं कि इस काम में लगने वाला समय हमारी सेहत के बारे में कितना कुछ बता सकता है। जी हां, यह सिर्फ एक डेली रूटीन नहीं है, बल्कि आपके डाइजेस्टिव सिस्टम के तालमेल का बड़ा संकेत है। आइए, विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

आपका टॉयलेट टाइम बता देगा आप कितने फिट हैं (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर कोई पॉटी करता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उसे करने में लगने वाला समय आपकी सेहत के बारे में क्या बता सकता है? जी हां, यह केवल रोजाना की एक सामान्य आदत नहीं है, बल्कि आपके पाचन तंत्र की कार्यक्षमता का एक अहम संकेत भी है।
कितना समय है बेस्ट?
स्टडीज बताती हैं कि पॉटी करने में 2 से 10 मिनट का समय लगना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति एक मिनट से भी कम समय में खत्म कर लेता है या 15–20 मिनट तक शौचालय में बैठा रहता है, तो यह पाचन तंत्र में असंतुलन का संकेत हो सकता है।
बहुत जल्दी खत्म होने का मतलब हो सकता है कि शरीर भोजन से पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित नहीं कर पा रहा। वहीं, लंबे समय तक बैठे रहने और ज्यादा जोर लगाने की आदत कब्ज या आंतों की सुस्ती की ओर इशारा करती है।

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लंबे समय तक बैठने के नुकसान
कई लोग मोबाइल लेकर शौचालय में बैठ जाते हैं, लेकिन ऐसा करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। लंबे समय तक बैठने से गुदा की नसों पर दबाव बढ़ता है, जिससे बवासीर या दर्द की समस्या हो सकती है। बेहतर यही है कि तभी बैठें जब वास्तव में शरीर से पॉटी करने का संकेत मिले और इसे “आराम का टाइम” या “स्क्रॉलिंग जोन” न बनाएं।
शरीर की घड़ी और पॉटी का समय
हमारा पाचन तंत्र एक प्राकृतिक जैविक घड़ी के अनुसार चलता है। आम तौर पर सुबह उठने के 30 मिनट के भीतर या भोजन के बाद शरीर पॉटी करने का संकेत देता है, इसे गैस्ट्रोकॉलिक रिफ्लेक्स कहा जाता है। अगर बार-बार इस संकेत को नजरअंदाज किया जाए, तो यह रिफ्लेक्स कमजोर हो सकता है और पॉटी करने की नियमितता बिगड़ सकती है।
ध्यान रहे, कुछ लोग दिन में एक बार जाते हैं, तो कुछ हर दूसरे दिन- अगर मल सामान्य है, न ज्यादा सख्त और न ज्यादा ढीला, और शौचालय में अधिक समय नहीं लगता, तो यह पूरी तरह स्वस्थ स्थिति है।
पॉटी की बनावट क्या बताती है?
आपकी पॉटी का रंग, बनावट और समय आपकी सेहत का आईना होते हैं।
अगर मल सख्त, सूखा या गोलियों जैसा है और उसे निकालने में जोर लगाना पड़ता है, तो इसका मतलब है कि आप फाइबर या पानी कम ले रहे हैं। जबकि चिकना, सॉफ्ट और आसानी से निकलने वाला मल एक स्वस्थ पाचन तंत्र की निशानी है।
वहीं, बहुत ढीला या जल्दी निकल जाने वाला मल कभी-कभी संक्रमण, तनाव या गलत खानपान की वजह से भी हो सकता है। अगर मल की बनावट या पॉटी करने के समय में अचानक बदलाव आने लगे, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह आईबीएस (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम), थायरॉयड, या किसी अन्य पाचन विकार का संकेत हो सकता है।
कब डॉक्टर से करें संपर्क?
अगर पॉटी करने में हमेशा 10 मिनट से ज्यादा लग रहा है, मल बहुत सख्त है, या उसमें खून दिखता है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। लगातार कब्ज या अचानक मल त्याग की आदतों में बदलाव किसी गंभीर पाचन समस्या की ओर इशारा कर सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
आपका शरीर हर दिन आपको संकेत देता है, बस जरूरत है उन्हें समझने की। पॉटी करने का समय और तरीका सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि आपकी सेहत का “साइलेंट बैरोमीटर” है। अगर आप अपने शरीर की लय के साथ चलेंगे, तो आपका पाचन और स्वास्थ्य दोनों दुरुस्त रहेंगे।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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