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    लिवर की बढ़ती चर्बी हो सकती है जानलेवा, डॉक्टर से जानें Fatty Liver और NAFLD से बचाव के तरीके

    Updated: Tue, 11 Mar 2025 07:58 AM (IST)

    आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण Fatty Liver एक आम समस्या बनती जा रही है। खासकर Non-Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD) उन लोगों को प्रभावित करती है जो शराब का सेवन नहीं करते फिर भी उनके लिवर में चर्बी बढ़ जाती है। अगर इसे समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो यह गंभीर लिवर डिजीज का रूप ले सकती है।

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    फैटी लिवर और NAFLD में क्या अंतर है? जानिए इनके खतरे और बचाव के उपाय (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण फैटी लिवर (Fatty Liver) की समस्या तेजी से बढ़ रही है। कई लोग इसे मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती है। खासकर, जब बात नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) की हो, तो यह लिवर सिरोसिस और कैंसर तक पहुंच सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फैटी लिवर और NAFLD एक ही नहीं हैं? आइए जानते हैं इनके बीच का अंतर, इनके खतरों और इससे बचने के उपायों के बारे में।

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    फैटी लिवर और NAFLD में क्या अंतर है?

    फैटी लिवर

    जब लिवर में 5% से ज्यादा फैट जमा हो जाती है, तो इसे फैटी लिवर कहते हैं।

    यह दो प्रकार का हो सकता है:

    • अल्कोहोलिक फैटी लिवर – अत्यधिक शराब के सेवन से होता है।
    • नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर (NAFL) – बिना शराब के सेवन के भी हो सकता है।

    NAFLD (नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज)

    • यह फैटी लिवर की एक गंभीर स्थिति है, जिसमें लिवर में वसा जमा हो जाती है, लेकिन इसका कारण शराब नहीं बल्कि मोटापा, डायबिटीज और मेटाबॉलिक समस्याएं होती हैं।
    • अगर इसे रोका न जाए, तो यह नॉन-अल्कोहोलिक स्टिएटोहेपेटाइटिस (NASH) में बदल सकता है, जो लिवर सिरोसिस और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

    यह भी पढ़ें- लोगों को तेजी से चपेट में ले रही Fatty Liver की समस्या, एक्सपर्ट से जानें इसके रिस्क फैक्टर्स और बचाव के तरीके

    फैटी लिवर और NAFLD के लक्षण

    अगर लिवर में फैट बढ़ने लगे, तो शरीर कुछ संकेत देने लगता है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

    • पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द या भारीपन महसूस होना
    • लगातार थकान और कमजोरी
    • बिना किसी कारण वजन बढ़ना या घटना
    • भूख कम लगना
    • गंभीर स्थिति में त्वचा या आंखों में पीलापन (पीलिया का संकेत)

    NAFLD और फैटी लिवर से होने वाले खतरे

    अगर इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह कई खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकता है:

    • लिवर सिरोसिस – लिवर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिससे लिवर फेलियर हो सकता है।
    • डायबिटीज और हार्ट डिजीज – NAFLD वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज और हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है।
    • लिवर कैंसर – NAFLD अगर NASH में बदल जाए, तो यह लिवर कैंसर का कारण बन सकता है।

    कैसे बचें फैटी लिवर और NAFLD से?

    • बैलेंस डाइट लें – फास्ट फूड, तले-भुने और ज्यादा वसा वाले खाने से बचें। हरी सब्जियां, फाइबर और प्रोटीन युक्त भोजन करें।
    • रेगुलर एक्सरसाइज करें – रोज कम से कम 30 मिनट की वॉक या एक्सरसाइज करें।
    • वजन कंट्रोल करें – मोटापा NAFLD का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए अपना वजन संतुलित रखें।
    • शराब से दूरी बनाएं – अगर पहले से लिवर फैटी हो चुका है, तो शराब से पूरी तरह बचें।
    • डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करें – ब्लड शुगर और लिपिड प्रोफाइल की नियमित जांच करवाएं।

    यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, डॉक्टर कुनाल दास कहते हैं, फैटी लिवर और NAFLD को हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही समय पर पहचान और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसे रोका जा सकता है। खासकर, अगर मोटापा, डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो लिवर की नियमित जांच करवाना बेहद जरूरी है।

    अगर आपको फैटी लिवर या NAFLD के लक्षण दिख रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। समय रहते लाइफस्टाइल में सुधार और डॉक्टर की सलाह लेकर इसे गंभीर बीमारियों में बदलने से रोका जा सकता है। हेल्दी आदतें अपनाएं और अपने लिवर को हेल्दी रखें।

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