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    अच्छी नींद लेने के बाद भी आ सकता है Heart Attack! अगर फिक्स नहीं है आपके सोने का समय

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 03:58 PM (IST)

    भले ही आप 7-8 घंटे की नींद पूरी कर रहे हों लेकिन सोने और जागने का समय निश्चित न होने पर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। अनियमित नींद कई तरीके से आपकी सेहत को प्रभावित करती है। एक स्टडी में इसके बारे में खुलासा हुआ। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

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    अनियमित नींद से बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा स्टडी (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। यह तो हम सभी जानते हैं कि सेहतमंद रहने के लिए रोजाना नींद पूरी करना जरूरी है। रोज 7-8 घंटे की आपको हेल्दी बनाने में मदद करती है, लेकिन अगर हम कहें कि जानकारी गलत है, तो क्या आप यकीन करेंगे। जी हां, ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद साइंटिस्ट्स कह रहे हैं। दरअसल, एक स्टडी में यह पता चला है कि भले ही आप अपनी नींद पूरी कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आपके दिल पर खतरा बना हुआ है।

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    दरअसल, इस स्टडी में यह सामने आया कि आप भले ही 7-8 घंटे की नींद लेते हों, लेकिन अगर आपके सोने और जागने का समय फिक्स नहीं है, तो आपको हार्ट अटैक आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-

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    क्या कहती है स्टडी?

    स्टडी की मानें, तो भले ही आप 7 से 8 घंटे की नींद ले रहे हों, लेकिन दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा 26 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में प्रकाशित इस स्टडी में सामने आया कि अनियमित समय पर सोने से आपके दिल पर बुरा असर पड़ता है। दरअसल, अनियमित समय पर सोने का समय शरीर की इंटरनल क्लॉक बाधित होती है, जिससे इंफ्लेमेशन, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

    इस अध्ययन के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक दिल की समस्याओं को रोकने के लिए नींद का समय, डाइट और एक्सरसाइज जितना ही जरूरी हो सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हेल्दी हार्ट के लिए सिर्फ यह जरूरी नहीं कि आप कितना सोते हैं, बल्कि यह भी जरूरी है कि आप कब सोते हैं।

    कैसे किया गया अध्ययन

    शोध से पता चलता है कि अनियमित सोने का समय, यानी हर रात अलग-अलग समय पर सोना, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ा सकता है। अध्ययन में 40 से 79 साल की उम्र के 72,000 से ज्यादा वयस्क शामिल थे, जिनमें से किसी का भी दिल की बीमारी का कोई इतिहास नहीं था। उन्होंने नींद के पैटर्न पर नजर रखने के लिए एक हफ्ते तक एक्टिविटी ट्रैकर पहने और उनके स्लीप रेगुलरिटी इंडेक्स (एसआरआई) यानी एक ऐसा माप जो यह बताता है कि किसी व्यक्ति का सोने और जागने का पैटर्न कितना नियमित है, की गणना 0 से 100 तक के स्कोर के आधार पर की गई।

    सामने आए डेटा से पता चला कि जिन लोगों को एसआरआई स्कोर 72 से कम था , उन्हें 87 या उससे ज्यादा स्कोर वाले लोगों की तुलना में हार्ट से जुड़ी समस्या से पीड़ित होने का खतरा 26% ज्यादा था।

    दिल और सोने के समय का कनेक्शन

    अब सवाल यह उठता है कि आखिर हार्ट हेल्थ और नियमित नींद का समय एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं। इसका जवाब आपके शरीर की नेचुरल सर्कैडियन रिदम में छिपा हुआ है। यह इंटरनल क्लॉक आपके सोने-जागने की साइकिल, हार्मोन प्रोडक्शन, बीपी और मेटाबॉलिज्म जैसे जरूरी कामों को रेगुलेट करने में मदद करती है। ऐसे में अलग-अलग समय पर सोने से हाई बीपी, आर्टरीज में प्लाक, इंसुलिन रेजिस्टेंट और अंततः हार्ट डिजीज या स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

    इसलिए एक तय समय पर सोने से आपके शरीर को संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे हार्ट की फंक्शनिंग पर दबाव कम पड़ता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अपने दिल को सुरक्षित रखने के लिए नियमित नींद का समय बनाए रखना उतना ही जरूरी हो सकता है, जितना कि पर्याप्त नींद लेना।

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    Source:

    • BMJ: https://bmjgroup.com/irregular-sleep-wake-cycle-linked-to-heightened-risk-of-major-cardiovascular-events/?