पोषण की कमी बना सकती है Type-5 Diabetes का शिकार, डॉक्टर से जानें इससे जुड़ी जरूरी बातें
अभी तक टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बारे में काफी लोग जानते होंगे लेकिन अब मेडिकल साइंस ने टाइप 5 डायबिटीज की पहचान की है। इस बीमारी का यह टाइप एशिया और अफ्रीकी देशों के लोगों तक पहुंच रहा है। आइए इस नए प्रकार के बारे में जानते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सालों तक टाइप-5 डायबिटीज को मेडिकल लिटरेचर में कुपोषण से जुड़ा डायबिटीज बताया जाता रहा है। अभी हाल ही में अप्रैल 2025 में बैंककॉक में इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन (आईडीएफ) ने वर्ल्ड डायबिटीज कांग्रेस में टाइप 5 डायबिटीज को औपचारिक नाम दे दिया।
आखिर यह डायबिटीज का कौन-सा प्रकार है और इसके क्या लक्षण हैं, बता रही हैं इंदौर से डॉ. डॉली जोसेफे (प्रोफेसर), डिपार्टमेंट ऑफ जनरल मेडिसिन। साथ ही डायटिशियन होमेश मंडावलिया बता रहे हैं, इसमें किस प्रकार की डाइट लेना है सही।
यह कैसे होता है
टाइप 5 डायबिटीज से एशिया और अफ्रीकी देशों के 2-2.5 करोड़ किशोर और युवा पीड़ित हैं। लंबे समय तक पोषण की कमी, खासकर प्रोटीन, आयरन और विटामिन्स की वजह से यह समस्या होती है। ऐसा होने से पैनक्रियाज का सही तरीके से विकास और इंसुलिन का निर्माण नहीं हो पाता। इसलिए इस डायबिटीज को कुपोषण से जोड़कर देखा गया है और इसे सीवियर इंसुलिन डिफिशिएंसी डायबिटीज (SIDD) भी कहा जा सकता है।
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इसके लक्षण हैं
- इंसुलिन की कमी और दुबलापन
- थकान
- वजन का कम होना
- बार-बार पेशाब आना
- ज्यादा प्यास लगना
- घाव का धीरे भरना
- बार-बार इन्फेक्शन होना
- बच्चों या किशोरों में देरी से विकास या प्यूबर्टी का आना
इससे बचाव के लिए क्या करें
दवाओं की मदद से इंसुलिन को मैनेज करने के अलावा इसमें पर्याप्त पोषण देना भी जरूरी होता है। इसके रोगियों को लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसेमिया) का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए परेशानी से बचने के लिए ब्लड शुगर को लगातार मॉनिटर करते रहना बेहद जरूरी है। डायबिटीज के इस प्रकार से बचाव के लिए बचपन से ही स्कूल और कम्युनिटी ग्रुप में जांच करवाना अहम है। साथ ही इन्फेक्शन का पता लगाना और उसका इलाज भी।
टाइप 5 डायबिटजी में ऐसी हो डाइट
- संतुलित और पोषण से भरपूर डाइट: संतुलित रूप से भोजन करने पर फोकस करना चाहिए, जिसमें पर्याप्त कैलोरी, प्रोटीन और जरूरी विटामिन्स तथा मिनरल्स हों।
- लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स: खाने-पीने की ऐसी चीजे लें, जिससे अचानक ब्लड शुगर ना बढ़े। साबुत अनाज, दालें, सब्जियां, अंडे, पनीर जैसी चीजों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स आमतौर पर कम होता है।
- अतिरिक्त शुगर और प्रोसेस फूड लेने से बचें: शुगर वाली ड्रिंक्स, मीठी चीजें और प्रोसेस फूड्स से ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव होता है।
- फाइबर से भरपूर चीजें लें: साबुत अनाज, फल, सब्जियां, फलियां आदि ज्यादा-से-ज्यादा अपनी डाइट में शामिल करने की कोशिश करें। इससे ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
- नियम से भोजन करें और स्नैक्स लें: पूरे दिनभर छोटे-छोटे पोर्शन में मील लें, इससे ब्लड शुगर का स्तर स्थिर बना रहता है।
- इनसे बचें: ज्यादा तली-भुनी चीजें, बेकरी प्रोडक्ट, मिठाइयां, जैम, जेली, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम, आलू, फ्रूट जूस लेने से बचें।
- ये फल कम लें: आम, चीकू, सीताफल, अंगूर और केला।
एक्सरसाइज भी है जरूरी
मसल मास बढ़ाने और तनाव के स्तर को कम करने के लिए किसी भी प्रकार की हल्की-फुलकी एक्सरसाइज या एक्टिविटी शुरू करने की कोशिश करें। ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।
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