क्या कैल्शियम स्कोर से लगा सकते हैं हार्ट अटैक के जोखिम का पता? किन लोगों के लिए कारगर है यह टेस्ट?
क्या आपको पता है कि एक टेस्ट की मदद से आप अपने दिल का हाल आसानी से जान सकते हैं? जी हां, कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम स्कैन (Coronary Artery Calcium Scan) एक ऐसा टेस्ट है, जो आर्टरीज में जमा कैल्शियम का पता लगाकर हार्ट अटैक का जोखिम पहचानने में मदद कर सकता है।

क्या होता है कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम स्कैन? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारे दिल की सेहत का अंदाजा अक्सर ब्लड टेस्ट, कोलेस्ट्रॉल लेवल या फैमिली हिस्ट्री से लगाया जाता है। लेकिन ये सब केवल संभावनाएं बताते हैं। लेकिन एक टेस्ट ऐसा है जो इसका ठोस सबूत दे सकता है। इस टेस्ट (Heart Disease Screening) का नाम है- कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम (CAC) स्कैन।
दरअसल, इस टेस्ट से पता चल सकता है कि व्यक्ति में हार्ट अटैक का रिस्क कितना है। आइए जानें यह टेस्ट (CAC Score Heart Attack Risk) कैसे काम करता है और यह टेस्ट कब-कब करवाना चाहिए।
क्या है कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम स्कैन?
यह एक नॉन-इनवेसिव स्कैन है, जो हमारी कोरोनरी आर्टरी में जमा कैल्शियम की मात्रा मापता है। कैल्शियम का जमा होना एथेरोस्क्लेरोसिस यानी आर्टरीज में प्लाक बनने की शुरुआती निशानी है। यही प्लाक आगे चलकर हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
इस स्कैन से मिलने वाला CAC स्कोर जीरो से लेकर हजारों तक हो सकता है। स्कोर 0 का मतलब है कि आर्टरीज में कैल्शियम नहीं है यानी बीमारी के कोई साफ संकेत नहीं। यह स्कोर जितना ज्यादा होता है, भविष्य में हार्ट अटैक का रिस्क भी उतना ज्यादा रहता है।

‘पावर ऑफ जीरो’ क्या है?
कार्डियोलॉजी की दुनिया में “पावर ऑफ जीरो” शब्द CAC स्कैन से जुड़ा एक बेहद जरूरी कॉन्सेप्ट है। अगर आपका स्कोर 0 आता है, तो इसका मतलब है कि अगले कई सालों तक आपके दिल का जोखिम बहुत कम है। आंकड़ों के मुताबिक, ऐसे लोगों में 10 साल में 99.4% तक सर्वाइवल देखा गया है यानी हार्ट अटैक की संभावना बेहद कम। लेकिन यह सुरक्षा हमेशा के लिए नहीं होती। इसे आप एक वारंटी पीरियड की तरह समझें, जो कुछ सालों तक सुरक्षा देता है, पर हमेशा नहीं।
यह ‘वारंटी पीरियड’ कितने साल रहता है?
यह व्यक्ति की लाइफस्टाइल और रिस्क फैक्टर्स पर निर्भर करता है-
- डायबिटीज वालों में- लगभग 3-4 साल
 - सामान्य लोगों में- 5-7 साल
 
स्मोकर्स में यह सुरक्षा लगभग खत्म हो जाती है, क्योंकि स्मोकिंग आर्टरीज में कैल्शियम न होने पर भी हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ा देती है
कितने समय में यह टेस्ट करवाना चाहिए?
एक स्वस्थ व्यक्ति को हर 5 साल में यह टेस्ट करवाना चाहिए, लेकिन अगर आपको डायबिटीज है या आप स्मोक करते हैं, तो हर तीन साल में यह टेस्ट करवाना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि आज का “जीरो” स्कोर यह गारंटी नहीं देता कि कल भी कैल्शियम जमा नहीं होगा। लंबे अध्ययन बताते हैं कि 10 साल में लगभग आधे लोगों में कैल्शियम जमना शुरू हो जाता है।
किन्हें करवाना चाहिए यह टेस्ट?
40 से 75 साल की उम्र के लोगों के लिए यह टेस्ट सबसे असरदार होता है, क्योंकि इससे कम उम्र के लोगों में शुरुआती प्लाक अक्सर नॉन-कैल्सिफाइड होता है।
अगर आपका स्कोर जीरो आए तो क्या करें?
इसका मतलब है कि आपकी आर्टरीज फिलहाल स्वस्थ हैं, इसलिए आपको अपनी अच्छी आदतें जारी रखनी चाहिए, जैसे-
- कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें
 - स्मोकिंग से पूरी तरह दूर रहें
 - रोजाना एक्सरसाइज करें और
 - हेल्दी डाइट अपनाएं।
 
     
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