'दिल टूटा है, छुट्टी चाहिए'- Gen Z ने बिना झिझक बॉस से मांगी ब्रेकअप लीव; सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
हाल ही में, सोशल मीडिया पर एक ऐसी चैट वायरल हुई जिसने कॉर्पोरेट जगत में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। यह मामला गुड़गांव की एक कंपनी का है, जहां एक Gen Z कर्मचारी ने अपने बॉस को छुट्टी के लिए एक बहुत ही ईमानदार ईमेल भेजा। इस ईमेल में कर्मचारी ने लिखा कि उसका ब्रेकअप हो गया है, जिस कारण वह काम पर ध्यान नहीं लगा पा रहा/रही है और उसे इस 'इमोशनल ब्रेक' से उबरने के लिए कुछ दिन की छुट्टी चाहिए।

क्या ब्रेकअप के लिए छुट्टी लेना सही है? एक वायरल ईमेल से छिड़ी बहस (Image Source: AI-Generated & X)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में गुरुग्राम की एक स्टार्टअप कंपनी के कर्मचारी का एक ईमेल देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। इस कर्मचारी ने बिना किसी झिझक के अपने बॉस को लिखा, “मेरा हाल ही में ब्रेकअप हुआ है और मैं काम पर ध्यान नहीं दे पा रहा/रही। मुझे एक छोटी छुट्टी चाहिए।”
यह कोई सामान्य 'पर्सनल इमरजेंसी' वाली छुट्टी की अर्जी नहीं थी, बल्कि यह भावनात्मक सच्चाई को सीधे-सीधे पेश करने का एक उदाहरण था। ऐसे में, बॉस ने न सिर्फ तुरंत छुट्टी मंजूर की, बल्कि इस ईमेल को "सबसे ईमानदार लीव एप्लीकेशन" बताते हुए ऑनलाइन शेयर भी कर दिया। यह घटना रातोंरात वायरल हो गई और इसने कार्यस्थल पर मेंटल हेल्थ और प्रोफेशनल बाउंड्रीज को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
14 million views and counting! Didn’t expect a breakup leave mail to go this far 😅 pic.twitter.com/P3bXrIjuRl
— Jasveer Singh (@jasveer10) October 31, 2025
Gen Z और बदलती वर्कलाइफ
आज के युवा कर्मचारी, जिन्हें Gen Z (1997 से 2012 के बीच जन्मे) कहा जाता है, काम और पर्सनल लाइफ की बाउंड्रीज को धुंधला कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, तीन में से एक Gen Z कर्मचारी ने पिछले साल मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या का सामना किया, जो सभी ऐज ग्रुप में सबसे ज्यादा है। यह पीढ़ी पिछले कर्मचारियों की तुलना में इमोशनल सपोर्ट के लिए वर्कप्लेस पर मदद मांगने में ज्यादा कम्फर्टेबल महसूस करती है। Gen Z का मानना है कि भावनात्मक स्थिरता काम की कुशलता जितनी ही जरूरी है, क्योंकि जब मन अशांत होता है, तो काम पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है।
42% कर्मचारी 'बर्नआउट' से परेशान
पहले माना जाता था कि प्रोफेशनल होने का मतलब है अपनी समस्याओं को घर पर छोड़ आना, लेकिन महामारी के बाद, जब वर्क-फ्रॉम-होम और डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ी है, तो पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ की दीवारें टूट गई हैं। भावनात्मक संकट अब दफ्तर का समय खत्म होने का इंतजार नहीं करते।
एक सर्वे में सामने आया कि लगभग 42% कर्मचारियों ने बर्नआउट की सूचना दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी बर्नआउट को एक 'व्यावसायिक घटना' माना है। जब भावनात्मक रूप से बिखराव होता है, तो काम पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि थोड़ी देर के लिए काम से दूरी बनाना भागना नहीं, बल्कि जवाबदेही का एक रूप हो सकता है, ताकि कर्मचारी ठीक होकर बेहतर प्रदर्शन कर सके।
काम के दौरान ब्रेकअप से उबरने के तरीके
ब्रेकअप के दर्द से गुजरते हुए काम करना एक बड़ी चुनौती है। Gen Z कर्मचारी इस संतुलन को बनाने के लिए ये कदम उठा सकते हैं:
- मानें कि इमोशनल स्ट्रेस से फोकस और एनर्जी पर असर पड़ता है।
- दर्द से बचने के लिए ज्यादा काम न करें। अपनी उपलब्धता की स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करें।
- अकेलापन महसूस करने के बजाय विश्वसनीय सहकर्मियों, दोस्तों या थेरेपिस्ट से मदद लें।
- अगर संभव हो, तो थोड़े समय के लिए रिमोट काम करें या छुट्टी लें।
- मूड को स्थिर करने के लिए सोने, खाने और व्यायाम करने की आदतों को बनाए रखें।
- अगर जरूरी हो, तो अपने मैनेजर को बताएं कि आप अस्थायी रूप से काम में पिछड़ सकते हैं- स्पष्टता से समझ पैदा होती है, न कि आलोचना।
Gen Z के लिए, यह संतुलन बनाना अपनी कमजोरी को छिपाना नहीं, बल्कि भावनात्मक ईमानदारी को एक ताकत में बदलना है।

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