हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करने वाले संभल जाएं! सर्वे में सामने आए इसके डराने वाले नुकसान
एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि जो लोग ज्यादातर समय अपने डेस्क पर बैठे रहते हैं उनकी मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है। जी हां अगर आप भी रोजाना 12 घंटे या उससे ज्यादा वक्त ऑफिस में बिताते हैं यानी हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम (Long Work Hours) करते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। आइए जानें इसके डराने वाले नुकसान।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Long Work Hours: आज के दौर में काम का दबाव और प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई है कि लोग अपनी सेहत और पर्सनल लाइफ को नजरअंदाज करते हुए घंटों काम में जुटे रहते हैं। खासकर युवा पीढ़ी, जो करियर में तरक्की पाने के लिए हफ्ते में 60 घंटे से भी ज्यादा काम (60 Hour Work Week) करने को तैयार रहती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत आपकी सेहत, मेंटल हेल्थ और यहां तक कि आपकी प्रोडक्टिविटी के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है? भारत के आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में इस बात को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो लंबे समय तक काम करने वाले लोगों के लिए एक चेतावनी की तरह हैं। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

कुर्सी से चिपके रहने वाले सावधान
सरकार का यह सर्वे ऐसे समय में आया है जब 70-90 घंटे काम करने को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस सर्वे में साफ कहा गया है कि हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। सर्वे के मुताबिक, जो लोग दिन में 12 घंटे या उससे ज्यादा वक्त कुर्सी से चिपके रहते हैं, उनकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है।
भले ही ज़्यादा काम को ज्यादा तरक्की का पैमाना माना जाता हो, लेकिन सच्चाई ये है कि अगर आप हफ्ते में 55-60 घंटे से ज्यादा काम करते हैं तो आपकी सेहत खतरे में है। इस सर्वे में कई रिसर्च के नतीजों का हवाला दिया गया है, जिसमें ये बात सामने आई है।
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उदासी-चिंता से हर साल 12 अरब दिनों का नुकसान
सर्वे में पाया गया कि प्रोडक्टिविटी को कई चीजें प्रभावित करती हैं। सबसे अच्छे बॉस के साथ काम करने वालों का भी हर महीने लगभग 5 दिन काम में मन नहीं लगता। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिर्फ वर्कप्लेस का माहौल ही नहीं, बल्कि और भी कई फैक्टर्स प्रोडक्टिविटी पर असर डालते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में उदासी और चिंता के कारण हर साल लगभग 12 अरब दिन काम पर नहीं जा पाते हैं, जिससे लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है। यानी, हर दिन के हिसाब से लगभग 7,000 रुपये का नुकसान होता है।
कामकाजी घंटों पर छिड़ी बहस
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कामकाजी घंटों को लेकर कुछ बातें कही गई हैं, जो लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन की उस बहस के कुछ हफ्ते बाद आई है, जिसमें उन्होंने कर्मचारियों को घर पर बैठने की बजाय रविवार समेत हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी।
उन्होंने इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के 70 घंटे और अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी की टिप्पणी का भी जिक्र किया था। हालांकि, सुब्रमण्यन की इस बात के लिए काफी आलोचना हुई थी। आरपीजी समूह के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इसे बर्नआउट कहा था, जबकि महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने काम की क्वॉलिटी पर ध्यान देने की बात कही थी।
क्या कहता है आर्थिक सर्वे?
आर्थिक सर्वेक्षण में ये बात सामने आई है कि अगर भारत को अपने सपने पूरे करने हैं, तो सबसे जरूरी है कि बचपन से ही बच्चों के लाइफस्टाइल पर ध्यान दिया जाए। इसके साथ ही, आजकल दफ़्तरों में काम का जो माहौल है, वो भी ठीक नहीं है। बहुत ज्यादा काम का प्रेशर और घंटों तक एक ही जगह पर बैठे रहने से लोगों की मेंटल हेल्थ खराब हो रही है, जिसका असर देश की तरक्की पर पड़ सकता है। इसलिए, इन सब चीजों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

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