अगर जान लिया यह एक तरीका, तो गुड़हल के पौधे पर रोज आने लगेंगे फूल; माली भी मानते हैं इसे बेस्ट ट्रिक
क्या आपके गुड़हल के पौधे पर फूल आने कम हो गए हैं या बंद हो गए हैं? अगर हां तो चिंता मत करिए कभी-कभी ऐसा हो जाता है। हालांकि सही देखभाल की मदद से आप इस समस्या को दूर कर सकते हैं। आइए जानें गुड़हल के पौधे पर फूल बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गुड़हल के पौधे के लाल-लाल फूल देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। इसके फूल (Hibiscus Flowers) और भी कई रंग के होते हैं, जैसे- गुलाबी, सफेद, नारंगी आदि, लेकिन ज्यादातर लोग लाल रंग के गुड़हल घरों में लगाते हैं। ये फूल न सिर्फ देखने में खूबसूरत होते हैं, बल्कि इनका इस्तेमाल पूजा-पाठ और दवाएं बनाने में भी किया जाता है।
हालांकि, कई बार कुछ कारणों से पौधे पर फूल आने बंद हो जाते हैं। पौधा तो हरा-भरा रहता है, लेकिन पौधे पर फूल या तो बहुत कम आने लगते हैं या बिल्कुल नहीं आते। लेकिन चिंता मत करिए। एक छोटी-सी बात (Trick to Increase Hibiscus Flowers) का का ध्यान रखकर आप अपने पौधे को हेल्दी रख सकते हैं और इससे पौधे पर रोज फूल आने शुरू हो जाएंगे।
फूल बढ़ाने का मैजिकल तरीका
- क्यों जरूरी है प्रूनिंग? जब आप पौधे की शाखाओं और पुरानी पत्तियों की कटाई-छंटाई करते हैं, तो पौधे के पोषक तत्व और एनर्जी फूलों की कलियों को बनाने में लगता है। बिना कटाई के पौधा केवल लंबा होता जाता है, फूल कम आते हैं।
- कब और कैसे करें? फरवरी-मार्च का समय प्रूनिंग के लिए सबसे अच्छा समय है। पौधे की सूखी, मरी हुई और कमजोर शाखाओं को काट दें और हेल्दी शाखाओं के ऊपरी सिरों को भी थोड़ा काटें। इससे पौधा चौड़ा होगा और उसमें ज्यादा शाखाएं निकलेंगी। ज्यादा शाखाएं यानी ज्यादा फूल।
- फूल तोड़ना भी है जरूरी- जो फूल मुरझा गए हैं, उन्हें तुरंत तोड़ देना चाहिए। इससे पौधा बीज बनाने में एनर्जी खर्च नहीं करेगा और इसकी जगह नए फूल आते हैं।
कैसे करें गुड़हल के पौधे की देखभाल?
- धूप- गुड़हल को फूलों के लिए भरपूर धूप चाहिए। रोजाना कम से कम 5-6 घंटे की सीधी धूप इसके लिए जरूरी है। अगर पौधा छांव में रहेगा, तो पत्ते तो आते रहेंगे, लेकिन फूल नहीं खिलेंगे। इसे ऐसी जगह रखें जहां सुबह की धूप पूरी तरह से मिले।
- मिट्टी और गमला- गुड़हल की जड़ें जलभराव बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करतीं। इसलिए मिट्टी हल्की, भुरभुरी और अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए। मिट्टी में थोड़ी रेत, कोकोपीट और गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। गमले में नीचे की ओर जल निकास के छेद जरूर बनाएं।
- पानी- पानी देने का नियम समझदारी से अपनाएं। गर्मियों में मिट्टी सूखने पर पानी दें और सर्दियों में पानी की मात्रा कम कर दें। मिट्टी हमेशा थोड़ी नम रहनी चाहिए, गीली नहीं। ओवरवॉटरिंग से जड़ें सड़ सकती हैं और फूल आना बंद हो जाएंगे।
- खाद- फूलों के लिए फॉस्फोरस और पोटैशियम सबसे जरूरी तत्व हैं। महीने में एक बार फास्फोरस वाली खाद जरूर दें। आप चाहें, तो केमिकल की जगह घर पर बने खाद भी दे सकते हैं।
- केले के छिलके की खाद- केले के छिलके सूखाकर उनका पाउडर बना लें और मिट्टी में मिलाएं। यह पोटैशियम का बेहतरीन सोर्स है।
- चाय की पत्ती या अंडे के छिलके- इन्हें सुखाकर मिट्टी में मिलाने से कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालते रहें।
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